ट्रेडमिल : घर आया मेहमान-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 11, 2025 हास्य रचनाएं 4 Comments ट्रेडमिल बड़े जोश से घर आया, पर महीने भर में कपड़े सुखाने का स्टैंड बन गया। जैकेट, साड़ियाँ, खिलौने सब उस पर लटकने लगे। वज़न… Spread the love
हारे हुए प्रत्याशी की हाल-ए-सूरत-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments चुनाव हारने के बाद नेताजी के चेहरे की मुस्कान स्थायी उदासी में बदल गई। कार्यकर्ता सांत्वनाकार बन चुके हैं, बासी बर्फी पर मक्खियाँ भिनभिना रही… Spread the love
लिख के ले लो यार ..हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 4, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments हर मोहल्ले में एक ‘भविष्यवक्ता अंकल’ होते हैं—जो हर शुभ कार्य में अमंगल ढूँढने को व्याकुल रहते हैं। उनकी ज़ुबान पर एक ही ब्रह्मवाक्य रहता… Spread the love
“मजे की राजनीति: भारतीय जीवन का मस्ती भरा दर्शन” डॉ मुकेश 'असीमित' June 14, 2024 हिंदी लेख 2 Comments भारतीय आम आदमी की ज़िंदगी में काम नहीं, मज़ा ज़रूरी है। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स उसे नहीं समझ पाया — लेकिन वो तो मस्ती के लिए… Spread the love