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‘उठाना नहीं’ Hindi Kavita Poem अतुकांत कविता-Mahadev Premi

uthana नहीं हिंदी कविता

‘उठाना नहीं

जिन्दगी का एक सीधा सा गणित याद रखो,

जहाँ कदर नहीं,
वहां जाना नहीं,

जो पचता नहीं,
उसे खाना नहीं,

और जो सच वोलने पर रूठ जांय,
उसे मनाना नहीं,

और जो नजरों से गिर जाय,
उसे उठाना नहीं ।

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