“लाठी” हिंदी कविता (Laathi Hindi Poem ) by Mahadev ‘Premi ‘

आज की मेरी कविता लाठी को समर्पित. जी हा लाठी, हमारे देश के पुरातन काल का सबसे ज्यादा प्रचलित हथियार है जो बहुद्देशीय है और हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है. आइये जानिये कैसे लाठी का एक महत्वपूर्ण योगदान हमारी दीनिक जीवन चर्या में है इस कविता के माध्यम से

“लाठी”

लाठी हथियन देखकर,खड़े रहैं सब दूर,
पास न कोई आत है,कैसा भी हो क्रूर,

कैसा भी हो क्रूर,देख दुष्मन डर जावै,
ठग्ग लुटेरे चोर,आदि नहिं नियरे आवै,

कुत्ता बन्दर पशू,आदि सब भागे जावै,
खेल कूद व्यायाम,सभी लाठी संग लावै,

अंतिम राह दिखाय, मुर्दयन की बन काठी,
“प्रेमी”अंधे चलै,साथ तेरे ही लाठी।

रचियता- महादेव प्रेमी

दोस्तों आपको हमारी कविताएं कैसी लग रही है , कृपया नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपने विचारों से अवगत काराए. और हा अगर आप रूचि रखते है पहेलिय पढने में या पहेलिय बुझाने में तो मेरे द्वारा संकलित पहलेइयो का एक अपार भण्डार” बुझोबल” जरूर पढ़े. आज ही अपनी कॉपी ऑनलाइन आर्डर करके मंगवा सकते है ‘

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Mahadev Prashad Premi

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी…

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी गर्ग होस्पीटल गंगापुर सिटी ,स0 मा0 (राज0)322201 मोबाईल 9667627720 संप्रति:चिकित्सा कर्मी कार्य क्षेत्र:चिकित्सा कार्य लेखन विधा-गजल,गीत,कविता और पहेली लेखन आदि प्रकाशन:(1)”बूझोबल” पहेली संग्रह प्राप्त सम्मान:कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान प्राप्त लेखनी उद्देश:सामाजिक विसंगतियों पर लिखना प्रेरणा पुञ्ज:स्वयम एवम अन्य लेखक रुचियां: साहित्य लेखन/अध्यापन

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