Kalyug (कलयुग) हिंदी कविता by Mahadev Premi

कलयुग की उल्टी लीला से सभी सामना कर रहे है. कलयुग के रूप में जो उल्टी गंगा बह रही है उसका सटीक वर्णन करती हुई यह कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है

“कलयुग”

कलयुग झूठ अधार है,कलयुग बेईमान,
कपट, द्वेष ,पाखंड सब, हैं अवगुण की खान,

है अवगुण की खान ,कि भोगी योगी बन गये,
चोर लुटेरे साधु ,बन बच्चों को ले गये,

मांसाहारी पंडित, भये मुल्ला जाम पिये,
रक्षक ही भक्षक होगा,जब कैसे लोग जिये,

“प्रेमी”तरसे दाने,कोई भोग रहा धन युग,
सगे भाई दुश्मन,बने ऐसा ये कलयुग।

Mahadev Prashad Premi

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी…

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी गर्ग होस्पीटल गंगापुर सिटी ,स0 मा0 (राज0)322201 मोबाईल 9667627720 संप्रति:चिकित्सा कर्मी कार्य क्षेत्र:चिकित्सा कार्य लेखन विधा-गजल,गीत,कविता और पहेली लेखन आदि प्रकाशन:(1)”बूझोबल” पहेली संग्रह प्राप्त सम्मान:कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान प्राप्त लेखनी उद्देश:सामाजिक विसंगतियों पर लिखना प्रेरणा पुञ्ज:स्वयम एवम अन्य लेखक रुचियां: साहित्य लेखन/अध्यापन

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