जब बोले अटल बिहारी

शब्दों में राष्ट् का स्पंदन , कलम में अटूट जिम्मेदारी,

राजनीति में रस घुल जाये ,जब बोले अटल बिहारी।

कटु समय में भी भाषा संयम से ओतप्रोत भारी ,

विरोधी भी सर झुकाने लगे, जब बोले अटल बिहारी ।

सत्ता आई, सत्ता गई, पर लेखनी रही जारी,

लोकतंत्र की सांसों में बसते रहे अटल बिहारी।

कवि मन और राजधर्म का अद्भुत था मेल मिलाप ,

सत्ता की हर चाल से ऊपर अडिग अटल बिहारी।

लफ़्ज़ों में वतन की ख़ुशबू , और देश प्रेम का जज़्बा ,

सियासत भी अदब बन गई जब बोले अटल बिहारी।

तेज़ आँधियों में भी लहजा अदब का झुका नहीं जिनका ,

मुख़ालिफ़ भी झुक गए जब सामने आए अटल बिहारी।

तख़्त बदले , मौसम बदले, दौर धूप छाँव का बदला ,

क़लम ने नहीं छोड़ा सच, चलते रहे अटल बिहारी।

जंग की ज़बान से ऊँची थी गुफ़्तगू की फ़नकारी,

दुश्मन भी मान गया आख़िर ऐसे थे अटल बिहारी।

तारीख़ लिखेगी अदब से यह एक अलग सी क़िस्सेदारी,

“असीमित “दिलों ने संजोए रखा है , नाम अटल बिहारी।

डॉ मुकेश 'असीमित'

डॉ मुकेश 'असीमित'

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी,…

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान पिन कोड -३२२२०१ मेल आई डी -thefocusunlimited€@gmail.com पेशा: अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ लेखन रुचि: कविताएं, संस्मरण, व्यंग्य और हास्य रचनाएं प्रकाशित  पुस्तक “नरेंद्र मोदी का निर्माण: चायवाला से चौकीदार तक” (किताबगंज प्रकाशन से ) काव्य कुम्भ (साझा संकलन ) नीलम पब्लिकेशन से  काव्य ग्रन्थ भाग प्रथम (साझा संकलन ) लायंस पब्लिकेशन से  अंग्रेजी भाषा में-रोजेज एंड थोर्न्स -(एक व्यंग्य  संग्रह ) नोशन प्रेस से  –गिरने में क्या हर्ज है   -(५१ व्यंग्य रचनाओं का संग्रह ) भावना प्रकाशन से  प्रकाशनाधीन -व्यंग्य चालीसा (साझा संकलन )  किताबगंज   प्रकाशन  से  देश विदेश के जाने माने दैनिकी,साप्ताहिक पत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख प्रकाशित  सम्मान एवं पुरस्कार -स्टेट आई एम ए द्वारा प्रेसिडेंशियल एप्रिसिएशन  अवार्ड  ”

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