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Category: हास्य रचनाएं

“व्यंग्यात्मक चित्रण – एक व्यक्ति गर्व से हाथ में आईफोन लिए मॉल में घूम रहा है, आईफोन जेब से झांक रहा है, और सामने एंड्रॉयड वाले लोग आश्चर्य व हीनभाव से देख रहे हैं।”

मैंने आईफोन क्यों लिया?-हास्य व्यंग्य रचना

“आईफोन क्यों लिया?” इस सवाल का जवाब तकनीकी फीचर्स नहीं, बल्कि स्वैग है। लेखक व्यंग्य में बताते हैं कि आईफोन खरीदने के बाद आत्मविश्वास भी…

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"एक रंगीन व्यंग्यात्मक लाइन–चित्र: मंच पर खाली कुर्सियाँ हैं, लेकिन मोबाइल स्क्रीन पर कवि ताज पहनकर बैठे हैं। एक तरफ फेसबुक कविराज अंगूठा उठाए दिख रहा है, ट्विटरबाज पक्षी के पंखों संग ट्वीट उगल रहा है, बीच में सेल्फी–क्वीन दण्डी पकड़े इठला रही है, और पीछे रसगुल्ला खाते कविगण मुस्कुरा रहे हैं। सत्य एक कोने में उदास बैठा जम्हाई ले रहा है।"

अथ खालीदास साहित्यकथा-हास्य व्यंग्य रचना

“अथ खालीदास साहित्यकथा” आज के साहित्य की खिचड़ी परोसती है। फेसबुकिये कविराज, ट्विटरबाज महंत, सेल्फी–क्वीन और रीलबाज कविगण – सब मंच से उतरकर मोबाइल स्क्रीन…

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"Caricature of a man throwing a red heart like a javelin in a market full of discounted hearts, symbolizing the satire on Valentine’s Day and ‘Dil Phenk’ culture."

दिल का मामला है-हास्य व्यंग्य रचना

“दिल का मामला है जी – एक दिन में कहाँ सिमट पाता है! वैलेंटाइन डे ने तो पूरे सात दिन का सरकारी-सा कार्यक्रम बना दिया…

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       रावण का दशहरा-व्यंग्य कथा

दशहरे की शाम थाने में बैठे नशे में धुत्त दारोगा ने चौकीदार से पूछा — “गांव में क्या चल रहा है?” चौकीदार बोला — “हुजूर,…

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कार्टून कैरिकेचर: पति बिस्तर पर लेटा “दिवाली के बाद” की तख्ती पकड़े है, जबकि पत्नी झाड़ू और बाल्टी लेकर फूलन देवी के रूप में गुस्से में खड़ी है। पृष्ठभूमि में पटाखों और मिठाइयों के बीच दुकानदार, उधार लेने वाला और डॉक्टर—सब अपने-अपने बहानों की पर्ची दिखाते हैं।

दिवाली के बाद-हास्य व्यंग्ग्य रचना

दिवाली के बाद—यह चार शब्द किसी भी अधूरे काम, टली हुई ज़िम्मेदारी और बचने की कला का ब्रह्मास्त्र हैं। शादी से लेकर कर्ज़ चुकाने तक,…

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“दो पड़ोसी परिवार सड़क पर नाली के कचरे को लेकर झगड़ रहे हैं, एक महिला रंग देखकर अपनी सफाई दे रही है, दूसरा परिवार गुस्से में तर्क दे रहा है, आसपास लोग हँसते-देखते खड़े हैं, और पृष्ठभूमि में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का बोर्ड लगा है।”

कचरा गाथा: नाली के सम्राटों की जंग!

सुबह की ताज़ी हवा और गालियों की महक—यही हमारी कॉलोनी का ‘नियम’ है। इस बार झगड़े की वजह बनी नाली में बहाया गया कचरा। एक…

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कार्टून कैरिकेचर (16:9): श्राद्ध-पक्ष का आँगन। पत्तल पर खीर रखी है, पास में परिवार तर्पण करता दिख रहा है। ससुराल की मुंडेर पर सूट-बूट पहना “जमाई” कौवे की मुद्रा में कांव-कांव करता बैठा है। एक तरफ अब्दुल चाचा पिंजरे में दो कौवे लिए “कांव सेवा ₹101” का बोर्ड पकड़े नोट गिन रहे हैं। दृश्य व्यंग्य, चमकीले फ्लैट रंग, मोटी आउटलाइन।

जमाई राजा—कलियुग के कौवे 

श्राद्ध पक्ष में कौवों की कमी ने परम्पराओं को भी स्टार्टअप बना दिया। अब्दुल चाचा दो कौवे पालकर खीर चखवाने का 101 रुपये वाला ‘डिलीवरी…

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minimal, iconic, flat-vector book cover (aspect ratio 2:3) titled “मोगली आज़म” by डा राम कुमार

मोगली आज़म -लघु नाटिका

मोगली सल्तनत का दरबार दो सदियों के बीच झूला झूलता है—एक ओर शाही खंजर, सुराही, घूंघरू; दूसरी ओर जींस, बीयर, पिज़्ज़ा और जिम। बादशाह की…

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A satirical line-art cartoon of an Indian paan shop, with walls stained red by spit, people from all walks of life—leaders, poets, and locals—chewing paan while gossiping, symbolizing how paan defines culture, politics, and social life.

पान-दर्शन शास्त्र-हास्य व्यंग्य रचना

पान हमारी सभ्यता का ऐसा रस है जिसने गली-कूचों को संसद बना दिया। दीवारों पर मुफ्त “पीक आर्ट,” नेताओं के वादों में कत्था-चूना और जनता…

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