डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 12, 2025
व्यंग रचनाएं
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श्राद्ध पक्ष में कौवों की कमी ने परम्पराओं को भी स्टार्टअप बना दिया। अब्दुल चाचा दो कौवे पालकर खीर चखवाने का 101 रुपये वाला ‘डिलीवरी सेवा’ चला रहे हैं। पर असली ‘कागभुशुंडी’ तो कलियुग का जमाई है—जाति-धर्म से परे, ससुराल की मुंडेर पर बैठकर कांव-कांव करता और थाली में पहला निवाला पक्का करता। कौवे न मिलें तो जमाई ही तर्पण का ब्रांड एम्बेसडर, नाग पंचमी तक आउटसोर्सिंग पक्की! हो जाएगी
Ram Kumar Joshi
Sep 12, 2025
व्यंग रचनाएं
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मोगली सल्तनत का दरबार दो सदियों के बीच झूला झूलता है—एक ओर शाही खंजर, सुराही, घूंघरू; दूसरी ओर जींस, बीयर, पिज़्ज़ा और जिम। बादशाह की नीतियाँ अख़बारों से सीखी गईं, शहज़ादा सलीम ‘हैलो डैड’ कहकर बगावत की सूचना कुरियर से देता है। नर्तकी का ग्लास सिंहासन तक पहुँचता है, तलवारें जंग खाती हैं और घोड़े बेरोज़गार। सत्ता का तख़्त अंततः नृत्य-मंच में बदल जाता है—और जनता तमाशा देख हँसती।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 11, 2025
Cinema Review
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Netflix की फिल्म Inspector Zende में मनोज बाजपेयी एक ईमानदार लेकिन दिलचस्प पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में नज़र आते हैं। यह 1980 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित क्राइम-कॉमेडी है, जो न खून-खराबे से भारी है और न गालियों से बोझिल। हल्की-फुल्की हास्यपूर्ण ट्रीटमेंट, दमदार अभिनय और जिम सरब के खलनायक रूप ने इसे परिवार संग देखने योग्य बना दिया है। यह फिल्म ताज़गी का एहसास कराती है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 11, 2025
व्यंग रचनाएं
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पान हमारी सभ्यता का ऐसा रस है जिसने गली-कूचों को संसद बना दिया। दीवारों पर मुफ्त “पीक आर्ट,” नेताओं के वादों में कत्था-चूना और जनता के मुँह में चुनावी पान—यह वही संस्कृति है जहाँ पानवाला ही न्यूज़ चैनल, गूगल मैप और थिंक-टैंक रहा। आज इंस्टा स्टोरी ने उसकी जगह ले ली है, मगर स्वाद, लाली और व्यंग्य अब भी उसी गिलौरी में छुपा है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 9, 2025
Science Talk (विज्ञान जगत )
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When Vedanta shakes hands with Quantum, the monk smiles: “Wave or particle?—depends on who’s watching.” A saffron-clad thinker juggles photons and sine-waves like circus toys, one eye on a magnifying glass, the other on an Upanishad scroll. Behind him a chalkboard doodles “E=mc²,” while a temple gopuram hums “ॐ.” Science counts, scripture chants—but both whisper the same punchline: all is one, just differently measured.
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 8, 2025
Cinema Review
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‘Zwigato’ एक गिग-इकॉनॉमी राइडर की रोज़मर्रा की जद्दोजहद का सधी हुई, मानवीय चित्रपट है—जहाँ ऐप का एल्गोरिदम नई फैक्ट्री है, रेटिंग नया ठप्पा, और बारिश में भी चलती है रोज़ी-रोटी की बाइक। कपिल-शाहाना की बिना शोर वाली अदाकारी बेरोज़गारी, शोषण और शहरी पलायन की सच्चाइयों को नरमी से काटती है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 8, 2025
शोध लेख
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सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण सिर्फ़ खगोल नहीं, बल्कि खगोलीय कॉमेडी भी हैं। सूर्य बॉस की तरह, पृथ्वी मैनेजरनी और चंद्रमा नखरेबाज़ कवि की तरह बर्ताव करता है। इनकी शक्ति, आकार और वजन जब आपस में भिड़ते हैं, तो ग्रहण बनता है मानो आसमान में ब्रह्मांडीय नौटंकी का लाइव शो!
Ram Kumar Joshi
Sep 3, 2025
व्यंग रचनाएं
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During a saint’s sermon on life’s impermanence, a villager asked the meaning of "Late" written before names after death. His friend explained—Englishmen are buried, so they keep lying in graves, hence "Late." For us, it’s "Swargiya," since we go to heaven. Their talk outshone the sermon’s seriousness
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 3, 2025
व्यंग रचनाएं
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“रायतपुराण” भोजन-संस्कृति का हास्य-व्यंग्यात्मक आख्यान है। सागर-मंथन से जन्मा यह दधि-व्यंजन कभी पंगत का गौरव था, तो आज बुफ़े की प्लेट के कोने में सहमा पड़ा है। कभी भूखे बारातियों का उद्धार करता, तो कभी फूफा के हाथों विवादों में फैलाया जाता। अब यह थालियों से निकलकर सोशल मीडिया की दीवारों पर अफ़वाहों और राजनीति का प्रतीक बन चुका है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 2, 2025
English-Write Ups
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Forty years ago, happiness was cheap. A stick could be toy, antenna, and mango-harvesting tool. A single roll of cloth dressed the whole family—eventually turning into bags and mops. Doordarshan’s Ramayan was a divine weekly event, while sugar toys were both playthings and sweets. Today, despite endless gadgets and choices, smiles feel mortgaged. The old equation still rings true: fewer resources, more joy; more resources, less joy.