डॉ मुकेश 'असीमित'
Dec 4, 2025
हास्य रचनाएं
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“गोलगप्पा केवल चाट नहीं—भारत का चलित विश्वविद्यालय है, जहाँ मीठा, खट्टा और तीखा स्वाद जीवन-दर्शन बनकर उतरता है।”
गोलगप्पा–लाइन भारतीय लोकतंत्र की असली प्रयोगशाला है—आईएएस हो या कवि, सबकी कटोरी बराबर काँपती है
डॉ मुकेश 'असीमित'
Dec 4, 2025
व्यंग रचनाएं
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“नवराष्ट्रवाद वह चूर्ण है जिसमें दो चुटकी डालते ही कोई भी बहस राष्ट्रभक्ति की आँच पर तवे की तरह लाल हो जाती है।”
“आजकल सवाल पूछना विचार नहीं, ‘कौन भेजा तुम्हें’ परीक्षा का पहला प्रश्नपत्र बन गया है।”
डॉ मुकेश 'असीमित'
Dec 3, 2025
Blogs
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अधूरी देह में भी पूरा आकाश बसता है—यह कविता जीवन की बाधाओं में छिपी अनंत संभावनाओं और साहस के उजाले को आवाज़ देती है।जब दुनिया सीमाएँ गिनाती है, तब हम अपने भीतर की उड़ान खोजते हैं। यह गीत प्रतिकूलताओं के बीच जिजीविषा का घोष है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Dec 3, 2025
व्यंग रचनाएं
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कला का ब्रह्मांड जहाँ खत्म होता है, समोसा वहीं से अपना दर्शन शुरू करता है—तीन कोनों में आत्मा, पदार्थ और ऊर्जा समाहित।”
“यूरी मायस्को ने शायद संगमरमर देखने से पहले भारतीय कैंटीन का समोसा खाया होगा—नहीं तो ‘ट्रिनिटी’ इतनी भूख-भरी क्यों बनती?”
“संगमरमर की मूर्ति प्रकाश पकड़ती है, और समोसा हमारे दिल… और पेट।”
“अगर इस देश की असल त्रिमूर्ति कोई है, तो वह तेल, आलू और मैदा है—बाकी सब कलात्मक विस्तार हैं।”
डॉ मुकेश 'असीमित'
Dec 2, 2025
Cinema Review
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“छोटे शहर के दर्शक की नजर से देखा जाए तो ‘जॉली LLB 3’ सिर्फ एक कोर्टरूम फिल्म नहीं—बल्कि कानून, संवेदना और किसान के संघर्ष का वह संगम है जो OTT की स्क्रीन को भी असली सिनेमा की गर्मी दे देता है।”
डॉ मुकेश 'असीमित'
Dec 2, 2025
आलोचना ,समीक्षा
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“व्यंग्य हँसाने की कला नहीं, हँसी के भीतर छुपी बेचैनी को जगाने की कला है। वह पल जब मुस्कान के बाद एक सेकंड की चुप्पी उतरती है—वही असली व्यंग्य है।”
“व्यंग्यकार हर दृश्य को तिरछी आँख से देखता है—क्योंकि सीधी आँख से देखने पर आजकल सब कुछ सामान्य लगने लगा है, और यही सबसे असामान्य बात है।”
डॉ मुकेश 'असीमित'
Dec 1, 2025
Culture
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आज गीता जयंती है—वह दिन जब कुरुक्षेत्र की रणभूमि में जन्मा कृष्ण का अमर संदेश मानवता को मार्ग दिखाता है। भय, दुविधा और मोह से जूझते अर्जुन को मिला यह उपदेश आज भी हर मनुष्य के भीतर के संघर्ष को दिशा देता है। गीता केवल ग्रंथ नहीं, जीवन का शाश्वत प्रकाश है।”
Ram Kumar Joshi
Dec 1, 2025
व्यंग रचनाएं
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“डा. रामकुमार जोशी की यह व्यंग्यात्मक आत्मकथा सड़कों की भीड़ से ज्यादा वैवाहिक भीड़भाड़ की कहानी कहती है। सड़क पर दिखी ‘अज्ञात मोहतरमा’ ने एक क्षण को ड्राइविंग भी भुला दी और विवेक भी। पत्नी की तिरछी नजर, इश्क का भूत, भीड़ का षड्यंत्र और नंबर प्लेट खोजने की जद्दोजहद—यह पूरा प्रसंग पति-पत्नी मनोविज्ञान पर एक बेहतरीन, हंसोड़ टिप्पणी है, जिसमें इश्क भी है, रश्क भी और भारतीय दांपत्य की शाश्वत नोकझोंक भी।”
डॉ मुकेश 'असीमित'
Nov 29, 2025
व्यंग रचनाएं
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“समोसा सिर्फ नाश्ता नहीं—भारतीय समाज, राजनीति और प्रेमकथाओं का सबसे स्थायी त्रिकोण है। डॉक्टर से लेकर दफ़्तर और दाम्पत्य तक, हर मोड़ पर यह तला-भुना फल अपना प्रभाव दिखाता है। बर्गर रोए या बाबू सोए—पर समोसा आए तो सब जग जाएं! यही है समोसे का सार्वभौमिक सत्य।”
डॉ मुकेश 'असीमित'
Nov 29, 2025
Cinema Review
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सत्यजीत रे केवल निर्देशक नहीं थे—एक दर्शन, एक दृष्टि, एक शांत चमत्कार। उनकी फिल्मों ने सिनेमा को कहानी से मनुष्य बना दिया और दुनिया को नया देखने की कला सिखाई।