“आलोचना प्रशंसा” हिंदी कविता महादेव प्रेमी

Mahadev Prashad Premi May 25, 2020 Poems 0

“आलोचना प्रशंसा”कुण्डली 8 चरण आलोचना अरु प्रशंसा,एक दूजे विपरीत,करते सव ही है सदा,यह दुनियां की रीत, यह दुनियां की रीत,न रीझ प्रशंसा सुनकर,निंदा कोई करै,कभी नहिं बोल उवल कर, स्तुती करने वालों, को मौका ना मिलेगा,निंदा करने चले,उ का सर ज़मीं झुकेगा, “प्रेमी” जग की रीत,देख मैंने की मन्शा,रीझो उवलो नांहि ,कि सुन आलोच प्रशंसा। […]

“नित सुवह से शाम” हिंदी कविता

Mahadev Prashad Premi May 24, 2020 Poems 0

“नित सुवह से शाम”कुण्डली 8चरण नित सुवह से श्याम तक,उछल कूद हुडदंग,योवन तक धूमिल हुए,बचपन के सव रंग, बचपन के रंग भूल,राह कुछ ऐसी पकड़ी,तीन चीज रहि याद,नमक तेलहि अरु लकडी, गिल्ली डंडा और,कबड्डी दौड रेल में,चोर सिपाही खो कि,सु मस्ती बनी खेल में, “प्रेमी”योवन साथ,हुए सव पारिवारिक काम,धूमिल हुआ बचपन,खेला नित सुवह से शाम। […]

“सुख अरु शान्ति ” हिंदी कविता

डॉ मुकेश 'असीमित' May 24, 2020 Poems 0

कविता शीर्षक “सुख अरु शांति” मानव मन को सच्ची शांति का मार्ग दिखलाती है. कविता का भावार्थ है की हे मनुष्य तू जहा शांति खोज रहा है,बाहर संसार के भौतिक सुखो में शांति पाना असंभव है. असली शांति मनुष्य को तभी मिलेगी जब वो अपने अन्दर झांक कर देखेगा. “सुख अरु शान्ति “कुण्डली 8चरण सुख […]

“चिड़ियों को दाना” हिंदी कविता महादेव प्रेमी

डॉ मुकेश 'असीमित' May 24, 2020 Poems 0

“चिडियों को दाना “हिंदी कविता कुंडीली विधा ८ चरण में प्रस्तुत है. कविता का भावार्थ छल और कपट द्वारा मनुष्य जिस तरह एक दुसरे को धोखा दे रहे है ,उसको दर्शाती हुई है. “चिड़ियों को दाना”कुण्डली8चरण चिड़ियों को दाना दिखा,पैर पकड़ता जाल,लोभ करै संसार में,कुछ ऐसा ही हाल, कुछ ऐसा ही हाल,लोभ वश होता रहता,लोभ […]

याद आ रही है जयपुर की वो शाम !

डॉ मुकेश 'असीमित' May 23, 2020 Poems 0

पंडित की कुल्फी , लाला की पताशी , मुरली का पान , जयपुर वालो के दिल मे ऐसे कई नाम !संपत की कचोरी , सम्राट का समोसा , मानसरोवर से आते लोग, खाने स्वामी का डोसा !ब्रजवासी की पताशी से बनती कंवर नगर कि शाम , अनु पान वाले का चॉकलेट वाला पान !भगत जी […]

“बचपन “कविता महादेव प्रेमी रचित

डॉ मुकेश 'असीमित' May 22, 2020 Poems 0

“बचपन” (कुण्डली8चरण) बचपन आप सम्हालिए ,देकर प्रेम दुलार,नीति नियम संस्कार दे,बन के दक्ष कुम्हार, बन के दक्ष कुम्हार,जैसे मिट्टी को ढाले,घुमा चाक पर कूट,पीट अग्नि में डाले, ऐसे हर परिवार,बाल बच्चों को पालो,दे संस्कार उदार,नेक जीवन में ढालों, “प्रेमी”इतना करो,लगे उनको अपनापन,मात पिता गुरु शिक्षा,दें तब सुधरे बचपन। रचियता -महादेव प्रेमी

“जग में भारी” हिंदी कविता

Mahadev Prashad Premi May 21, 2020 Poems 0

“जग में भारी ” आज के युग में मोबाइल की महत्ता को दर्शाती कविता है. कैसे मोबाइल आज एक आवश्यक निजी साथी बन गया है. कविता कुंदिली विधा में रची गयी है जिसके ८ चरण है “जग में भारी” (कुण्डली 8चरण) जग में भारी हो रहा,मोबाइल का भूत,झगड़ा दंगे हो ज़हां,पक्का लेय सबूत, पक्का लेय […]

“व्रद्ध जनो का ” हिंदी कविता

Mahadev Prashad Premi May 21, 2020 Poems 0

आज के युग में वृद्ध जानो की व्यथा को बाया करती मेरी यह कविता “वर्द्ध जनों का ” आपको बहुत पसंद आएगी. कविता कुंडली विधा में रचित है जिसमे ८ चरण है. “वृद्ध जनों का”वृद्ध जनों का इस समय,नहीं है चोखो हाल?युवा वाल की इस समय ,बदल रही है चाल , बदल रही है चाल,भुले […]

“बेटी” हिंदी कविता महादेव प्रेमी द्वारा रचित

Mahadev Prashad Premi May 20, 2020 Poems 2

कविता शीर्षक “बेटी “,भगवान का सर्वश्रेष्ट आशीर्वाद बेटी के लिए समर्पित. “बेटी”कुण्डली 8चरण बेटी घर की लाडली बेटी घर का प्यार,बेटी एक मुस्कान है,कोमल हृदय उदार, कोमल हृदय उदार,आंगन की खुशवु बिटिया,मात पिता का दर्द,सहज अपनाती बिटिया, वह शाख है न फूल,जहां तितलियां नहीं हो,वो घर भी है नहीं,ज़हां बच्चियां नहीं हो, “प्रेमी” ये महमान […]

“इंग्लिश पटरानी” हिंदी कविता

Mahadev Prashad Premi May 20, 2020 Poems 0

“इंग्लिश पटरानी”कुण्डली 8चरण इंग्लिश पटरानी बनी,हिंन्दी है लाचार,झेल रही निज देश में,सोतेला व्यवहार, सोतेला बर्ताव ,झेल रही अपनी हिन्दी,जो संस्कृति आधार,बनी भारत की बिंदी , आज बहुत से चला,रहे इंग्लिश विद्यालय,इंग्लिश में ही वहस , सुनें सवकी न्यायालय, “प्रेमी” इंगलिश वात,करै वो ही तो ज्ञानी,हिन्दि जगह पर बनी,आज इंगलिश पटरानी। रचियता -महादेव प्रेमी यह भी […]