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“आरक्षण” हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

"आरक्षण" हिंदी कविता

“आरक्षण”
कुण्डली 6चरण

आरक्षण अपराध है,जन समाज के बीच,
अना व्रष्टि हो रही कहीं,कहीं पर हो रहा कीच,

कहीं पर हो रहा कीच ,कोई पानी को तरसे,
कहीं नहिं पड रही बूंद,कहीं नित ही नित वरसे,

“प्रेमी”एक दिन इस ,समाज का होगा भक्षण,
बन अभिशाप गिरेगा,एक दिन यह आरक्षण,

रचियता -महादेव “प्रेमी”

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