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Category: Poems

एक मध्यम आयु का व्यक्ति एक लकड़ी की मेज़ पर उदास मुद्रा में बैठा है, उसके चेहरे पर गहरी चिंता की झलक है। उसने लाल शर्ट और काले कोट के ऊपर एक छोटा सा लाल हथौड़ा-हंसिया का चिह्न लगाया हुआ है, और मेज़ पर एक गिलास में हल्का भूरा शराब (सिंगल मॉल्ट) रखा है। पृष्ठभूमि में गर्म और गहरे रंगों की अमूर्त बनावट है।

“बेसहारा सर्वहारा चिन्तक” कविता रचना-डॉ मुकेश असीमित

एक मुखौटा जो क्रांति का नाम लेता है, और एक जाम जो सिंगल मॉल्ट से छलकता है। डॉ. मुकेश ‘असीमित’ की यह तीखी व्यंग्यात्मक कविता…

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एक न्यूनतम चित्रण जिसमें दो अमूर्त मानव आकृतियाँ एक-दूसरे की ओर उन्मुख हैं, उनके बीच एक जुड़ाव रेखा है। ऊपर दिल और नीचे जुड़ी हुई प्रतीकात्मक आकृतियाँ रिश्तों की जटिलता और भावनात्मक गहराई को दर्शाती हैं।

“रिश्ते (गजल ) दो छायाओं के बीच अनकहे जुड़ाव ।”

गजल – रिश्ते रिश्तों में विसाल उतना है जरूरी, मेरे लिए हर सिम्त में रिश्ते है जरूरी पर कुछ लोग बना देते है मैदान-ए-मतकल, मेरी…

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एक घना हरा-भरा जंगल जिसमें सामने एक हिरण खड़ा है, ऊपर एक पक्षी उड़ रहा है और एक कौआ झाड़ी पर बैठा है; पृष्ठभूमि में धुंध से ढकी पहाड़ियाँ और ऊँचे-ऊँचे पेड़ दिख रहे हैं।

जंगल की पुकार: हरियाली, जीवन और संरक्षण की कविता

जंगल केवल पेड़ों और जानवरों का घर नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यह हरियाली, शांति, और जैव विविधता का प्रतीक हैं, जो…

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Ganesh-vandna

गणेश वंदना-छंद रचना-डॉ मुकेश असीमित

गणेश चतुर्थी विशेष… करहूँ स्तुति श्री गणपति, दीन दुखी के नाथ। दारुण दूर करहुं, तुम हो दीनों के साथ॥ विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा, शुभ करहुं…

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एक टूटा हुआ दिल, उसके पीछे धुंधले चेहरों की परछाइयाँ — जो लालच और स्वार्थ के प्रतीक स्वरूप बिखरे हैं।

रिश्ते -कविता हिंदी रचियता महादेव प्रेमी Hindi Poem Rishte

जब रिश्तों में स्वार्थ और लोभ का ज़हर घुल जाता है, तब वर्षों से सहेजे संबंध भी टूटने लगते हैं। मनुष्यता की नींव पर जब…

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Antardwand -poem

अंतर्द्वंद -कविता रचना -डॉ मुकेश

अंतर्द्वंद का यह संसार, मन के विराट आकाश में,  जहाँ चिंतन की गहराइयों में बसती है एक अनकही पीड़ा।  मनुष्य की अनगिनत अपेक्षाएँ, समाज के…

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तेरा दुःख तेरा ही होगा-कविता रचना-डॉ मुकेश गर्ग

“तेरा दुःख तेरा ही होगा “इस कविता के माध्यम से, यथार्थ को अपनाने और स्वयं के साथ खड़े होने की प्रेरणा देने का प्रयास किया…

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ahsaas kavita

अहसास कविता-रचनाकार डॉ मुकेश गर्ग

अहसास की इस विस्तृत वादी में, जहाँ कण कण में सुकून का सागर छिपा है,वहाँ एक परिंदा, अपने अस्तित्व की छाया में, स्वच्छंद उड़ान भरना…

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शिव समाधि हैं, शक्ति संचलन। एक निःशब्द ऊर्जा, दूसरी जीवंत स्पंदन। जब दोनों मिलते हैं, तब ब्रह्मांड बोल पड़ता है—सृष्टि का रहस्य, शिव-शक्ति की अद्वितीयता में छिपा है। यही जीवन की शाश्वत अभिव्यक्ति है।

शिव और शक्ति: एकत्व का परिवेश-कविता रचना -डॉ मुकेश

शिव समाधि हैं, शक्ति संचलन। एक निःशब्द ऊर्जा, दूसरी जीवंत स्पंदन। जब दोनों मिलते हैं, तब ब्रह्मांड बोल पड़ता है—सृष्टि का रहस्य, शिव-शक्ति की अद्वितीयता…

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