“काम क्रोध मद लोभ” हिंदी कविता

यह कविता जिसका शीर्षक है” काम क्रोध मद लोभ ” आज के मनुष्य की इन चार विनाशकारी प्रब्रतियो में लिप्त होने की व्यथा व्यक्त करती है ” कैसे मानुष इन दुर्व्रतियो में अध्हें होकर अपना समूल नष्ट करने पर तुला हुआ है

“काम क्रोध मद लोभ”
8चरन,

काम क्रोध मद लोभ सब,देते कष्ट अपार,
फिर भी इस में ही फंसा,ये सारा संसार,

फंसा हुआ संसार ,जगत की मोह माया में ,
काम क्रोध मद लोभ,रहे जाकी छाया में ,

जानत हैं सव लोग,क्रोध मद लोभ न कीजे,
,लालच विन गम गाय, काम धीरज से लीजे,

“प्रेमी”दुनियां देख, कर मन में आता क्षोभ,
,यह जगत दु:ख का कारण,काम क्रोध अर लोभ ।

रचियता-महादेव प्रेमी

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Mahadev Prashad Premi

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी…

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी गर्ग होस्पीटल गंगापुर सिटी ,स0 मा0 (राज0)322201 मोबाईल 9667627720 संप्रति:चिकित्सा कर्मी कार्य क्षेत्र:चिकित्सा कार्य लेखन विधा-गजल,गीत,कविता और पहेली लेखन आदि प्रकाशन:(1)”बूझोबल” पहेली संग्रह प्राप्त सम्मान:कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान प्राप्त लेखनी उद्देश:सामाजिक विसंगतियों पर लिखना प्रेरणा पुञ्ज:स्वयम एवम अन्य लेखक रुचियां: साहित्य लेखन/अध्यापन

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