बाबा बर्फानी की वो अद्भुत यात्रा-भाग प्रथम डॉ मुकेश 'असीमित' July 11, 2025 Travel 4 Comments इस व्यंग्यात्मक यात्रा संस्मरण में लेखक ने अमरनाथ यात्रा के अनुभव को व्यंग्य, यथार्थ और करुणा के त्रिकोण में पिरोया है। हेलिकॉप्टर टिकट से लेकर… Spread the love
आजाद गजल -क्या मिला! Prahalad Shrimali July 10, 2025 गजल 2 Comments प्रह्लाद श्रीमाली की यह रचना हास्य और कटाक्ष के माध्यम से सामाजिक व्यवहारों, ढकोसलों और राजनीतिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती है। ‘क्या मिला?’ के… Spread the love
उठ ,चल ,फिर दौड़-Poems-Hindi Vidya Dubey July 10, 2025 हिंदी कविता 2 Comments यह कविता जीवन के संघर्ष, आत्मविश्वास और लक्ष्य साधना की प्रेरणा देती है। गिरने, थमने और लड़खड़ाने के बीच भी उठकर आगे बढ़ते रहने की… Spread the love
गुरु गुड ही रहे चेला चीनी हो गए-हास्य-व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 10, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments गुरु अब ज्ञान के प्रतीक नहीं, शॉर्टकट और टिप्स देने वाले बाज़ारू ब्रांड बन चुके हैं। चेला बनना खतरे से खाली नहीं, क्योंकि हर चेला… Spread the love
गिरने में क्या हर्ज़ है-पुस्तक समीक्षा व्यंग्यकार अर्चना चतुर्वेदी द्वारा डॉ मुकेश 'असीमित' July 9, 2025 Book Review 1 Comment ‘गिरने में क्या हर्ज है’ डाक्टर मुकेश ‘असीमित’ जी का पहला व्यंग्य संग्रह है । पहले संग्रह के हिसाब से देखा जाए तो डॉक्टर साब…… Spread the love
सैनिकों को सलाम-Poem-Hindi Babita Kumawat July 9, 2025 Poems 8 Comments “ये कविता मातृभूमि की रक्षा में तैनात भारत माँ के लाड़ले सैनिकों को समर्पित है। जो अपने प्राणों की आहुति देकर तिरंगे की शान को… Spread the love
देव सो रहे हैं और आम आदमी पिट रहा है….? व्यंग्य Sunil Jain Rahee July 8, 2025 व्यंग रचनाएं 5 Comments जब देव सोते हैं तो देश की नींव भी ऊंघने लगती है। जनता, बाबू, साहब और चपरासी सब अपनी-अपनी तरह से नींद का महिमामंडन करते… Spread the love
अब ए.आई. भी ‘आई’ बन सकती है!-हास्य व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 8, 2025 व्यंग रचनाएं 4 Comments ए.आई. अब सिर्फ इंटेलिजेंस नहीं, अब वह ‘आई’ भी है! तकनीक की इस नई छलांग में अब प्रेम, गर्भ और पालन-पोषण भी कोडिंग से संभव… Spread the love
काव्य संग्रह समीक्षा-तुम मेरे अज़ीज़ हो-डॉ मुकेश असीमित द्वारा डॉ मुकेश 'असीमित' July 8, 2025 Book Review 4 Comments “तुम मेरे अज़ीज़ हो” सिर्फ प्रेम का नहीं, आत्म-संवाद, स्मृति और मौन की यात्रा है। पंकज त्रिवेदी की सरल भाषा में छिपे गहन भाव, प्रेम… Spread the love
वाह भाई वाह -कविता -हास्य व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 7, 2025 हिंदी कविता 0 Comments सामाजिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती ये कविता ‘वाह भाई वाह’ हमें उन विसंगतियों का एहसास कराती है जहाँ ज़िंदगी त्रासदी बन चुकी है, फिर… Spread the love