डॉ मुकेश 'असीमित'
Jul 2, 2025
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Today is International Biodiversity Day. It is celebrated every year on 22 May all over the world. It was first celebrated in the year 1993. At that time it was celebrated on 29th December. After this, since 2001, it is celebrated every year on 22 May. Its main objective is to make people aware of […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jul 2, 2025
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रिश्वत नहीं ये सुविधा शुल्क है -व्यंग रचना भगवत पुराण में ऐसे कई अध्याय हैं जो मौखिक रूप से ही पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित हुए हैं, उन्हें गीता के 18 अध्यायों में जोड़ने से जानबूझकर वंचित रखा गया है, क्योंकि ये मृत्युलोक में आगे कलियुग के राक्षसी रूप की भयानकता के अंश स्वरूप पृथ्वी पर […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jul 2, 2025
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आजकल के 99% अंक बच्चों की प्रतिभा नहीं, शिक्षा व्यवस्था की उदारता दर्शाते हैं। जहां पहले पास होना जश्न था, अब मेरिट भी बोझ है। बचपन किताबों, कोचिंग और प्रतियोगिता में गुम है। बच्चों की मासूमियत खो चुकी है, और माता-पिता की महत्वाकांक्षाएं उनका बचपन खा रही हैं।
Dr Shree Gopal Kabra
Jul 1, 2025
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चिकित्सा मानव सेवा का उत्कृष्टतम रूप माना जाता है और अपने शुद्ध और मूल रूप में है भी। लेकिन मानव शरीर पर किया गया हर अचिकित्सकीय एवं अपचिकित्सकीय कर्म हिंसा है। आधुनिक चिकित्सा में उत्तरोत्तर बढ़ता व्यवसायीकरण, यंत्रीकरण और संवेदनहीनता के फलस्वरूप चिकित्साजनित हिंसा या चिकित्सकीय हिंसा आज एक महामारी हो गई है। वैसे अपने विकृत रूप में चिकित्सा सदा ही हिंसा थी।
Vivek Ranjan Shreevastav
Jul 1, 2025
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आधुनिक भारतीय परिवारों में उभरती वर्चुअल पूजा की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ सास और बहू तकनीक के माध्यम से पूजा में जुड़ी हैं — एक संस्कृति और टेक्नोलॉजी का मिलन।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 30, 2025
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डॉक्टर्स डे के दिन एक पत्रकार ‘VIP एंट्री’ की जिद पर अड़ा था। डॉक्टर की शोकेस डिग्रियों से भरी थी लेकिन वह ‘चंदा देकर सम्मानित’ होने को भी तैयार था। अंततः 'गलत इंजेक्शन' वाले रिसर्च का नाम सुनते ही पत्रकार डर से भाग गया। कटाक्ष और हँसी का जबरदस्त मिश्रण।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 30, 2025
Poems
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यह कविता एक बच्चे की अंतरात्मा की पुकार है—जो केवल अपने लिए जीना चाहता है, किसी की महत्वाकांक्षा की ट्रॉफी बनकर नहीं। वह अपने सपनों को जीना चाहता है, न कि दूसरों के अधूरे सपनों को ढोना। उसमें संवेदना है, विद्रोह है और मानवता की गूंज है।
Pradeep Audichya
Jun 30, 2025
व्यंग रचनाएं
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बारिश की रात झींगुरों की आवाज़ को कभी ध्यान से सुनिए – वो बस टर्राहट नहीं, एक आंदोलन की गूंज है। वे मंच पर अधिकारों की मांग कर रहे हैं – आरक्षण, रॉयल्टी, बिजली के खंभे, होटल प्रवेश और एक "झींगुर अत्याचार निवारण आयोग" की स्थापना!
Mukesh Rathor
Jun 30, 2025
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रोटी, कपड़ा, मकान के बाद अब नौकरी और छोकरी युवा की प्रमुख आवश्यकताएं बन गई हैं। लड़की देखने जाना शादी से पहले की सबसे बड़ी सामाजिक परीक्षा है, जिसमें चाय, मुस्कान और मूक संवादों के बीच कई बार ऐसा पंच पड़ता है कि रिश्ता बनने के पहले ही बिखर जाता है।
Dr Mahima Shreevasav
Jun 30, 2025
Poems
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देशभक्ति केवल नारों या गीतों में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के उन छोटे-छोटे कर्मों में छिपी होती है जो सादगी से, ईमानदारी से, कर्तव्य की भावना से जन्म लेते हैं। कविता में देशभक्ति की परिभाषा शोर में नहीं, बल्कि खामोश अच्छाइयों में मिलती है।