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Tag: हास्य_व्यंग्य

एक पंक्ति कार्टून: टोल-प्लाज़ा मजार जैसा दिखता है; टेंडर-पकड़ा अफ़सर और मुस्कुराता देवता पेटी में नोट लेते दिख रहे हैं; ड्राइवर चढ़ावा चढ़ाकर रसीद मांग रहा — व्यंग्यात्मक सैटायर।

चढ़ावा-प्लाज़ा: जहाँ देवता भी टोल टैक्स लेते हैं

सड़कों पर “देवता-तोल” का नया युग — जहाँ खतरनाक मोड़ और पुल नहीं, बल्कि चढ़ावे की रसीदें आपकी जान बचाती (या बिगाड़ती) हैं। सरकार टेंडर…

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“मंच पर चमकदार ‘विपणन’ लेखक और कोने में शांत ‘विरासत’ लेखक; आगे तराजू में विपणन भारी, फिर भी जड़ों से गहराई की बूंद धरती में उतरती—मिनिमल कार्टून इलस्ट्रेशन।”

विरासत बनाम विपणन — परिमाण में वृद्धि, गुणवत्ता में गिरावट

“साहित्य के बाजार में आज सबसे सस्ता माल है ‘महानता’। पहले पहचान विचारों से होती थी, अब फॉलोअर्स और लॉन्च-इवेंट से होती है। व्यंग्य अब…

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कार्टून कैरिकेचर: पति बिस्तर पर लेटा “दिवाली के बाद” की तख्ती पकड़े है, जबकि पत्नी झाड़ू और बाल्टी लेकर फूलन देवी के रूप में गुस्से में खड़ी है। पृष्ठभूमि में पटाखों और मिठाइयों के बीच दुकानदार, उधार लेने वाला और डॉक्टर—सब अपने-अपने बहानों की पर्ची दिखाते हैं।

दिवाली के बाद-हास्य व्यंग्ग्य रचना

दिवाली के बाद—यह चार शब्द किसी भी अधूरे काम, टली हुई ज़िम्मेदारी और बचने की कला का ब्रह्मास्त्र हैं। शादी से लेकर कर्ज़ चुकाने तक,…

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कार्टून कैरिकेचर (16:9): श्राद्ध-पक्ष का आँगन। पत्तल पर खीर रखी है, पास में परिवार तर्पण करता दिख रहा है। ससुराल की मुंडेर पर सूट-बूट पहना “जमाई” कौवे की मुद्रा में कांव-कांव करता बैठा है। एक तरफ अब्दुल चाचा पिंजरे में दो कौवे लिए “कांव सेवा ₹101” का बोर्ड पकड़े नोट गिन रहे हैं। दृश्य व्यंग्य, चमकीले फ्लैट रंग, मोटी आउटलाइन।

जमाई राजा—कलियुग के कौवे 

श्राद्ध पक्ष में कौवों की कमी ने परम्पराओं को भी स्टार्टअप बना दिया। अब्दुल चाचा दो कौवे पालकर खीर चखवाने का 101 रुपये वाला ‘डिलीवरी…

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एक बुज़ुर्ग महिला आरती करती दिख रही हैं, वहीं मोबाइल स्क्रीन पर एक बहू हाथ जोड़कर पूजा में शामिल है — यह वर्चुअल पूजा के माध्यम से जुड़ते परिवार की झलक है।

“वर्चुअल पूजा वाली बहुएं”-हास्य-व्यंग्य

आधुनिक भारतीय परिवारों में उभरती वर्चुअल पूजा की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ सास और बहू तकनीक के माध्यम से पूजा में जुड़ी हैं —…

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एक वृद्ध ग्रामीण व्यक्ति डॉक्टर के पैरों को छूते हुए, डॉक्टर मास्क लगाए, हाथ जोड़े सकपकाए खड़े हैं, पीछे क्लीनिक का शांत वातावरण।

श्रद्धा, सायकोसिस और स्टेथोस्कोप

मैंने अपने क्लीनिक में प्रवेश किया। कई मरीज़ विश्राम कक्ष में बैठे हुए थे। कुछ के चेहरे पर संतोष था—शायद मेरे इलाज से उन्हें लाभ…

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