Login    |    Register
Menu Close

Tag: व्यंग्य_लेखन

एक रंगीन व्यंग्यात्मक कैरिकेचर जिसमें एक नेता मंच पर आंख मिचमिचा रहा है, पीछे सूरत शहर की झलक है, और जनता ताली बजाने की बजाय सीटें घुमा रही है।

आउल जी को भेंट-हास्य व्यंग्य कविता

सूरत की राजनीति में खानदानी गुरुर ने ऐसा पेंच फँसाया कि ‘बाई’ की जगह ‘राड’ निकल गया। जनसभाओं में गुणगान करते-करते सीट हाथ से निकल…

Spread the love
A crowded train labeled **“Delhi Express”** overflowing with politicians, authors, and artists—all carrying suitcases marked *Ticket, Award, Protest, Funding*. Some are climbing the roof, others hanging from the windows. In the sky above, Delhi is drawn as a giant shining washing machine, sucking them in and washing away their stains. On the ground, common people are left behind, holding empty plates and waving. A signboard reads *“Delhi Returns Bazaar – भाव दोगुना”*. The mood is humorous, exaggerated, and satirical like a political cartoon.

चलो बुलावा आया है-व्यंग्य रचना

“चलो बुलावा आया है… दिल्ली ने बुलाया है। नेता, लेखक, कलाकार—सब दिल्ली की ओर ताक रहे हैं। दिल्ली एक वॉशिंग मशीन है, जहां दाग तक…

Spread the love
एक व्यंग्यात्मक चित्र जिसमें एक नाग दूध के कटोरे के सामने बैठा है, आस-पास सूट-बूट पहने नेतागण नाग की पूजा कर रहे हैं और जनता टैक्स रूपी दूध से कटोरा भर रही है। पीछे पोस्टर पर लिखा है — "लोकतंत्र में नागों की जय!"

वोट से विष तक : नागों का लोकतांत्रिक सफर

यह रचना नाग पंचमी के बहाने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर करारा व्यंग्य है। इसमें नाग रूपी नेताओं की तुलना असली साँपों से करते हुए बताया गया…

Spread the love