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Tag: Cultural commentary

“लाइन-आर्ट कार्टून जिसमें डीजे की तेज़ धुन पर लोग डांडिया खेल रहे हैं, माँ दुर्गा की मूर्ति प्रायोजक बैनरों के पीछे दब गई है, बाहर पानी भराव और ट्रैफ़िक, और लोग सेल्फ़ी ले रहे हैं—उत्सव की चमक में छुपी विडंबना।”

गरबा का थोथा गर्व-व्यंग्य रचना

नवरात्रि आते ही शहर गरबा-डांडिया के बुखार में तपने लगता है। भक्ति पीछे, डीजे आगे—फ़ैशन शो, सेल्फ़ी, और सार्वजनिक रोमांस! माँ दुर्गा कोने में दो…

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four pillars of Indian democracy—Judiciary, Legislature, Executive, and Journalism—as items for sale in an Indian market scene. Each pillar is humorously represented by individuals in roles pertinent to their sectors, all standing behind stalls marked 'For Sale'.

‘मुझे भी बिकना है ‘-व्यंग रचना

शास्त्रीय संगीतकार च्यवनप्राश के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं, कला का भी बाजार लग गया है। जब कला का मूल्य लग सकता है, तो…

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