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Tag: dr mukesh aseemit

एक व्यंग्यात्मक कार्टून चित्र जिसमें एक नेता मदारी के रूप में मंच पर खड़ा है, हाथ में डुगडुगी लिए “मुद्दे की चुहिया” को पिंजरे से बाहर निकाल रहा है। चुहिया बड़ी होकर हाथ में “लोकतंत्र” का झंडा पकड़े मंच पर नाच रही है। नीचे जनता तालियाँ बजा रही है, कुछ पत्रकार कैमरा लिए लाइव प्रसारण कर रहे हैं। पृष्ठभूमि में “संसद” का भवन दिख रहा है — और मंच पर बैनर लिखा है: “मुद्दा शो – लाइव टुडे!”

मुद्दों की चुहिया – पिंजरे से संसद तक

मुद्दा कोई साधारण प्राणी नहीं — यह राजनीति की चुहिया है, जिसे वक्त आने पर पिंजरे से निकालकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है। झूठे…

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“गहन अमावस्या के आकाश में भारत का मानचित्र दीपों से आलोकित है — दीयों की ज्योति से लक्ष्मी, महावीर, शिव और राम के प्रतीक उभर रहे हैं, एक ध्यानमग्न मानव आकृति दीप के भीतर बैठी आत्मज्योति का प्रतीक है — अंधकार से प्रकाश की ओर मानव चेतना की यात्रा का सांकेतिक चित्र।”

दीपावली — अंधकार के गर्भ से ज्योति का जन्म

“दीपावली अमावस्या की निस्तब्धता से जन्मी वह ज्योति है जो केवल घर नहीं, हृदय की गुफाओं को आलोकित करती है। यह बाह्य उत्सव से अधिक…

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एक साधारण रेखाचित्र जिसमें केंद्र में ध्यानमग्न व्यक्ति की आकृति हो — उसके चारों ओर छह गोलाकार परतें: 1️⃣ तर्क (Justice – न्याय) — प्रकाश की किरण जैसी। 2️⃣ तत्व (Vaisheshika – वैशेषिक) — परमाणुओं के प्रतीक बिंदु। 3️⃣ चेतना (Sankhya – सांख्य) — अर्ध खुली आँखें, भीतर दृष्टि। 4️⃣ साधना (Yoga – योग) — शांत श्वास का लयबद्ध प्रवाह। 5️⃣ कर्म (Mimamsa – मीमांसा) — हाथ जोड़ते हुए कर्मशील आकृति। 6️⃣ एकत्व (Vedanta – वेदांत) — ऊपरी आभामंडल में विलय होती ऊर्जा। रंग: मृदु सुनहरा, हल्का नीला और मिट्टी का टोन; कोई टेक्स्ट नहीं।

भारतीय दर्शनशास्त्र: जब प्रश्न व्यवस्था माँगते हैं — आत्मबोध से विश्वबोध तक

भारतीय दर्शन उस अनूठी यात्रा का नाम है जो व्यक्ति के “मैं” से शुरू होकर “हम” तक पहुँचती है। न्याय बुद्धि को कसौटी देता है,…

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“लाइन-आर्ट कार्टून जिसमें डीजे की तेज़ धुन पर लोग डांडिया खेल रहे हैं, माँ दुर्गा की मूर्ति प्रायोजक बैनरों के पीछे दब गई है, बाहर पानी भराव और ट्रैफ़िक, और लोग सेल्फ़ी ले रहे हैं—उत्सव की चमक में छुपी विडंबना।”

गरबा का थोथा गर्व-व्यंग्य रचना

नवरात्रि आते ही शहर गरबा-डांडिया के बुखार में तपने लगता है। भक्ति पीछे, डीजे आगे—फ़ैशन शो, सेल्फ़ी, और सार्वजनिक रोमांस! माँ दुर्गा कोने में दो…

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"Caricature of a man throwing a red heart like a javelin in a market full of discounted hearts, symbolizing the satire on Valentine’s Day and ‘Dil Phenk’ culture."

दिल का मामला है-हास्य व्यंग्य रचना

“दिल का मामला है जी – एक दिन में कहाँ सिमट पाता है! वैलेंटाइन डे ने तो पूरे सात दिन का सरकारी-सा कार्यक्रम बना दिया…

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