राधाष्टमी : राधा-कृष्ण प्रेम की अनंत व्याख्या

राधाष्टमी : राधा-कृष्ण प्रेम की अनंत व्याख्या

  • सौंदर्य पक्ष → सूरदास, बिहारी, चतुर्भुजदास ने अत्यधिक विस्तार से राधा के नख-शिख वर्णन किए।
  • भक्ति और अध्यात्म पक्ष → रसखान, जयदेव और नन्ददास ने राधा को आत्मा और परमात्मा के संगम का प्रतीक बनाया।

१. सूरदास (सूरसागर)

विषय – राधा का सौंदर्य और मान-मनुहार

श्री राधा रूप रसालिनी,सुरनरमुनिजन मन मोहिनी।तजि सब ब्रज नारि तुला नाहीं,जासु अङ्ग की अरुणा लोनि॥”

👉 सूरदास राधा को ब्रह्माण्ड की अद्वितीय सुंदरी मानते हैं। उनका रूप स्वयं देवताओं, मुनियों और मनुष्यों को मोहित कर लेता है।

२. रसखान (प्रेमवाटिका)

विषय – राधा की भक्ति और आत्मिक आकर्षण

राधा के तन की छबि देख्यौं, तन मन की सुधि भूलि गए।रसखान ता छबि की सरिसि, और न दूजी भूलि गए॥”

👉 रसखान बताते हैं कि राधा का रूप देखकर साधक देह और मन की सुधि खो बैठता है—यह प्रेम आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है।

३. जयदेव (गीत गोविंद)

विषय – राधा का आध्यात्मिक वियोग

प्रियाः प्राणेश्वरः स खलु हृदयेशः।किं ते हृदि न वर्तते॥”

👉 जयदेव की राधा का सौंदर्य केवल रूप का नहीं, बल्कि हृदय की तड़प और भक्ति की साधना का है। उनका वियोग ही साधक का आध्यात्मिक ताप है।

४. बिहारीलाल (सतसई)

विषय – राधा का सौंदर्य और अलौकिक आभा

सूर सरसिजनि सीलि सी, रूप सरसिजनि रूप।बिहारी देखत तृपित न, चितवनि सरसिजनि चुप॥”

👉 बिहारी ने राधा की आँखों की तुलना कमल से की—सौंदर्य और शील से भरी हुई। उनकी दृष्टि ही आध्यात्मिक अनुभव करा देती है।

५. चतुर्भुजदास (अष्टछाप)

विषय – राधा का रूप और कृष्ण से मिलन

पिय सन मुख गवनति गज गामिनि।नख-सिख अंग अंग अभिरामिनि॥”

👉 यहाँ राधा गजगामिनी चाल से सजधजकर अपने प्रिय कृष्ण की ओर बढ़ रही हैं। यह रूपक केवल शारीरिक सौंदर्य नहीं, बल्कि आत्मा का परमात्मा की ओर गमन है।

६. नन्ददास (अष्टयाम)

विषय – राधा का प्रेम और समर्पण

राधा रानी रूपवति, माधव संग रच्यो रस।नन्ददास गुन गावत, गोकुल भयो हरष॥”

👉 राधा के सौंदर्य में माधुर्य और अध्यात्म का संगम है। उनका कृष्ण के प्रति समर्पण ही भक्ति का चरम है।

डॉ मुकेश 'असीमित'

डॉ मुकेश 'असीमित'

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी,…

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान पिन कोड -३२२२०१ मेल आई डी -thefocusunlimited€@gmail.com पेशा: अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ लेखन रुचि: कविताएं, संस्मरण, व्यंग्य और हास्य रचनाएं प्रकाशित  पुस्तक “नरेंद्र मोदी का निर्माण: चायवाला से चौकीदार तक” (किताबगंज प्रकाशन से ) काव्य कुम्भ (साझा संकलन ) नीलम पब्लिकेशन से  काव्य ग्रन्थ भाग प्रथम (साझा संकलन ) लायंस पब्लिकेशन से  अंग्रेजी भाषा में-रोजेज एंड थोर्न्स -(एक व्यंग्य  संग्रह ) नोशन प्रेस से  –गिरने में क्या हर्ज है   -(५१ व्यंग्य रचनाओं का संग्रह ) भावना प्रकाशन से  प्रकाशनाधीन -व्यंग्य चालीसा (साझा संकलन )  किताबगंज   प्रकाशन  से  देश विदेश के जाने माने दैनिकी,साप्ताहिक पत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख प्रकाशित  सम्मान एवं पुरस्कार -स्टेट आई एम ए द्वारा प्रेसिडेंशियल एप्रिसिएशन  अवार्ड  ”

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