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आलु भरे परांठे हिंदी कविता

आलु भरे परांठे हिंदी कविता

“आलु भरे परांठे”
कुण्डली 6चरण

आलु भरे परांठे,स्वाद भरे लजीज़,
चटनी के संग खाईये,गरमा गरम प्लीज।

गरमा गरम प्लीज,टप्पु को वेहद भाते,
बहन भाई मम्मी,पापा खाय न अघाते,

“प्रेमी”भर जाये पेट,मगर नीयत नहिं नाटे,
आम जनों की पसंद,ये आलु भरे परांठे।

रचियता -महादेव प्रेमी

CANVAS AND PAPER PRINTS OF DIGITAL ARTWORK

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