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Category: हिंदी लेख

**पड़ोसियों को प्यार करो – व्यंग्य रचना**

बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी की लोकोक्तियाँ और मुहावरों को रटते आए हैं, लेकिन कभी उनके गूढ़ार्थ पर दिमाग नहीं लगाया। वैसे भी, तब…

मेरा लोकतंत्र महान -व्यंग रचना

हे प्रजातंत्र के प्रहरीगण, लोक तंत्र के इस विशाल नाटक का पटाक्षेप हो गया है. नाटक जहाँ झूठे वायदों की दुंदभी के आगे सच्चे संकल्प…

irony of discussing environmental issues in comfortable settings while outside, the harsh realities of environmental degradation are evident. You can view and analyze the image to see how the two scenes are juxtaposed against each other, highlighting the disparity between them.

*नेताजी का पर्यावरण दिवस आयोजन *

नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो…

four pillars of Indian democracy—Judiciary, Legislature, Executive, and Journalism—as items for sale in an Indian market scene. Each pillar is humorously represented by individuals in roles pertinent to their sectors, all standing behind stalls marked 'For Sale'.

‘मुझे भी बिकना है ‘-व्यंग रचना

शास्त्रीय संगीतकार च्यवनप्राश के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं, कला का भी बाजार लग गया है। जब कला का मूल्य लग सकता है, तो…

humorous and chaotic atmosphere of the doctor's clinic that doubles as his writer's den. The doctor's perplexed expression and the mix of medical and literary items highlight his comical struggle between the two vocations.

“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना

एक लेखक के लिए क्या चाहिए? खुद का निठल्लापन, उल-जलूल खुराफाती दिमाग, डेस्कटॉप और कीबोर्ड का जुगाड़, और रचनाओं को झेलने वाले दो-चार पाठकगण। कुछ…

भारतीय पति-पत्नी के परिदृश्य को दर्शाता है। इस चित्र में पति रसोई में खाना बनाने की कोशिश कर रहा है और उसके चारों ओर अव्यवस्था फैली हुई है, जबकि पत्नी पास में खड़ी हंस रही है या परेशान दिख रही है। पति ने एक एप्रन पहन रखा है और रेसिपी बुक को उल्टा पकड़े हुए है, जिससे स्थिति और भी मजेदार बन जाती है।

**एक पति की व्यथा कथा **तुम मायके कब जाओगे प्रिये **

हे! छाती पर मूंग दलने वाली हिरद्येशा प्राणप्रिये , पड़ोस के शर्मा जी को ही देख लो, कैसे गर्मी और सर्दी की छुट्टियां आते ही…

जैसे सिकुड़ी हुई नाक, तनी हुई भ्रकुटि, और फूले हुए गाल, जिससे उसके नाराज़ होने का भाव स्पष्ट होता है। इस बार चरित्र एक पारिवारिक डिनर या उत्सव में है, जहाँ बाकी लोग आनंद ले रहे हैं और यह चरित्र स्पष्ट रूप से असंतुष्ट है।

‘बुरा मानने वाले लोग ‘-व्यंग रचना

.इनके कुछ प्रत्यक्ष लक्षण हैं जैसे  अपना मुँह बुरा मानने की मुद्रा में टेढ़ा , भ्रकुटी तनी हुई,नाक के नथुने फूले हुए और फेंफडों की…

love-struck lover wandering in the street of his beloved's neighborhood, looking up with dreamy eyes while the beloved stands on the terrace, blushing. The scene captures the humorous and romantic essence perfectly.

प्यार की नौटंकी –व्यंग रचना

अब तो प्यार भी ‘चट मंगनी पट ब्याह’ की तरह ‘चट प्यार पट ब्रेकअप’ हो गया है. प्यार, जहां पहले सत्यनारायण भगवान के प्रसाद की…

irony and harsh realities of summer heat

गर्मी के तेवर-व्यंग रचना

यह लेख गर्मी की तीव्रता और उसके व्यंग्यात्मक पहलुओं पर केंद्रित है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे व्हाट्सएप पर गलतफहमियाँ फैलाने वाले संदेश गर्मी…