बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी की लोकोक्तियाँ और मुहावरों को रटते आए हैं, लेकिन कभी उनके गूढ़ार्थ पर दिमाग नहीं लगाया। वैसे भी, तब…
चैम्बर में अपनी एकमात्र कुर्सी पर धंसा ही था कि एक धीमी आवाज आई, “में आई कम इन सर ?” नजरें उठाकर देखा तो आगन्तुक…
हे प्रजातंत्र के प्रहरीगण, लोक तंत्र के इस विशाल नाटक का पटाक्षेप हो गया है. नाटक जहाँ झूठे वायदों की दुंदभी के आगे सच्चे संकल्प…
नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो…
शास्त्रीय संगीतकार च्यवनप्राश के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं, कला का भी बाजार लग गया है। जब कला का मूल्य लग सकता है, तो…
एक लेखक के लिए क्या चाहिए? खुद का निठल्लापन, उल-जलूल खुराफाती दिमाग, डेस्कटॉप और कीबोर्ड का जुगाड़, और रचनाओं को झेलने वाले दो-चार पाठकगण। कुछ…
हे! छाती पर मूंग दलने वाली हिरद्येशा प्राणप्रिये , पड़ोस के शर्मा जी को ही देख लो, कैसे गर्मी और सर्दी की छुट्टियां आते ही…
.इनके कुछ प्रत्यक्ष लक्षण हैं जैसे अपना मुँह बुरा मानने की मुद्रा में टेढ़ा , भ्रकुटी तनी हुई,नाक के नथुने फूले हुए और फेंफडों की…
अब तो प्यार भी ‘चट मंगनी पट ब्याह’ की तरह ‘चट प्यार पट ब्रेकअप’ हो गया है. प्यार, जहां पहले सत्यनारायण भगवान के प्रसाद की…