कोरोना की दीक्षा हिंदी कविता

आज कोरोना संकट से जूझ रहे विश्व पर मेरी ये विशेष रचना “कोरोना की दीक्षा ” प्रस्तुत कर रहा हु. कोरोना रुपी इस बह्यानक महालाल में हर मनुष्य अपने आप को मनुष्य बनाए रखे यह इस कोरोना रुपी संकट से उबरने के लिए नितांत आवश्यक है

कोरोना की दीक्षा है …

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तू तेरे निर्मित इस जग में

क्यूँ मुँह छिपाया फिरता है

तन केंचुली के अंबार चँढ़ा

क्यूँ खुद से ही खुद डरता है

तू तो अजेय के लिए चला

पर यात्रा कैसी बना डाली

खुद की लंका खुद ने ही

एक पल में ही जला डाली

तू भूल गया उसको जिसने

इस सृष्टि का निर्माण किया

तुझको भी भेजा था उसने

अलौकिक जो संधान किया

आकर, पाकर जन्म तू ने

एक अलग दुनिया बसा डाली

हो गया कृतघ्न उपकारों का

ये कैसी फसल उगा डाली

है ईश प्रदत्त ना कोरोना

दुष्कर्मों की प्रतिच्छाया है

भस्मासुर बन बैठा तू जो

स्वयं हाथ काल बन आया है

कैसे भी निकल इस फंदे से

ये कठिन काल-परीक्षा है

मनुज, मनुज बनकर के रह

ये कोरोना की दीक्षा है

रचियता -विशम्भर पाण्डेय व्यग्र

Boojhobal (बूझोबल)- A collection of interesting and enlightening original puzzles

Vyagra Pandey

रचनाकार परिचय नाम पूर्ण – विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’ साहित्यिक नाम…

रचनाकार परिचय नाम पूर्ण – विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’ साहित्यिक नाम – व्यग्र पाण्डे जन्म स्थान – गंगापुर सिटी स्थाई पता – कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी, स.मा. (राज.) 322201 मोबाइल : 9549165579 संप्रति : वरिष्ठ अध्यापक कार्यक्षेत्र – शिक्षा-विभाग लेखन विधा – ग़ज़ल, गीत, कविता, लघुकथा, कहानी आदि प्रकाशन – (1) कौन कहता है… (काव्य-संग्रह) (2) पाण्डे जी कहिन...(काव्य-संग्रह) (3) मौन क्यूँ हो ... (कविता-संग्रह) प्राप्त सम्मान – कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान प्राप्त लेखनी का उद्देश्य – सामाजिक विसंगतियों पर लिखना प्रेरणा-पुञ्ज – पंत व निराला रुचियां – साहित्य लेखन /अध्यापन

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