Login    |    Register
Menu Close

“नीड छोड़” हिंदी कविता महादेव प्रेमी

नीड छोड़ हिंदी कविता

मेरी कविता शीर्षक नीड छोड़ उन प्रवासी मजदूरों को समर्पित जो अपने पेट पालने खतिर अपना घरबार छोड़ कर दूर देश में अन्य राज्यों में या बाहर विदेश में मजबूरी में अपना जीवन यापन कर रहे है.

“नीड़ छोड”
कुण्डली 8चरण

नीड़ छोड़ पंछी उड़ा,सात समुन्दर पार,
दो रोटी की फिक्र में,जीवन रहा गुजार,

जीवन रहा गुजार,फक्र दो रोटी खातिर,
कमा रहा दो रोटी सात समुन्दर जाकर,

नीड़ बनाए कई,रोटियां भर दी लाकर,
सूख विखर गइ कछू ,गली गर्मी को पाकर,

“प्रेमी”सव को लगी,ये धन संचय की होड़,
सात समुन्दर जाय,पंछीअपने नीड़ छोड।

रचियता -महादेव प्रेमी “

Online Gallery Indian Paintings digital art prints paper and canvas
Online Gallery Indian Paintings digital art prints paper and canvas

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *