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“एक भावात्मक चित्र जिसमें भारत के नक्शे के भीतर दीप, तुलसी-विवाह, गोवर्धन की गोबर-आकृति, झूले, अलाव और शंख के अमूर्त प्रतीक तैरते हैं—बीच में ‘देव उठान’ का चंद्राकार चिह्न, जो स्मृति और उत्सव के पुनर्जागरण का संकेत देता है।”

उत्सवों का देश: स्मृति से पुनर्जागरण तक

“कभी ‘यंतु, नजिक, चियां-चुक’—स्वर्ग के केंद्र—कहलाने वाली धरती आज अपने ही लोक-उत्सव भूल रही है। देव उठान एकादशी हमें याद दिलाती है कि रोशनी बिजली…

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“डिजिटल युग के भाईदूज का प्रतीकात्मक चित्र — बहिन और भाई ऑनलाइन रूप में, वर्चुअल तिलक करते हुए, बीच में रोशनी की वाई-फाई डोर।”

भाईदूज — तिलक की रेखा में स्नेह, उत्तरदायित्व और रोशनी

“भाईदूज सिर्फ़ माथे का तिलक नहीं, रिश्ते की आत्मा में बसे भरोसे का पुनर्स्मरण है।” “जब बहन तिलक लगाती है, वह केवल दीर्घायु नहीं मांगती—वह…

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मंदिर के आँगन में गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट प्रसाद का आयोजन। लोग पत्तलों में बैठकर बाजरे की कूड़ी और कढ़ी का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। चारों ओर दीपक जल रहे हैं, महिलाएँ सजावट में व्यस्त हैं, और पंडित जी गोवर्धन गिरिराज को भोग लगा रहे हैं। वातावरण में भक्ति और सादगी का सामूहिक सौंदर्य झलकता है।

अन्नकूट महाप्रसाद — स्वाद, परंपरा और साझेपन की कथा

दीवाली और गोवर्धन के बीच का दिन केवल त्योहार का अंतराल नहीं, बल्कि साझेपन की परंपरा का उत्सव है। पहले अन्नकूट में हर घर का…

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"कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाए जाने की लीला का दार्शनिक और सांस्कृतिक विश्लेषण — इंद्र के अहंकार, भक्तिभाव और सामूहिक शरणागति का प्रतीकात्मक चित्रण"

गोवर्धन पूजा — धरती, धारण और धारणा का उत्सव

गोवर्धन लीला केवल एक पौराणिक प्रसंग नहीं, बल्कि मानव चेतना की यात्रा है—जहाँ कृष्ण भक्त के रक्षक, गुरु और प्रेमस्वरूप हैं। इंद्र का गर्व, ब्रजवासियों…

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स्वामी विवेकानंद ध्यानमग्न मुद्रा में खड़े हैं — एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में उठी हुई उँगली जैसे वेदान्त का उपदेश दे रहे हों। पृष्ठभूमि में उगता सूर्य भारतीय समाज, शिक्षा, और आधुनिक जीवन में “प्रायोगिक वेदान्त” के पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर चमक रहा है। दृश्य में युवा, शिक्षक, और किसान जैसे पात्र भी हैं जो कर्म, सेवा, और आत्मविश्वास से प्रेरित दिखाई दे रहे हैं।

विवेकानंद और आधुनिक प्रायोगिक वेदान्त की प्रासंगिकता

स्वामी विवेकानंद ने वेदान्त को ग्रंथों से निकालकर जीवन के प्रत्येक कर्म में उतारा — उन्होंने कहा, “यदि वेदान्त सत्य है, तो उसे प्रयोग में…

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“लाइन कैरिकेचर जिसमें एक मोटा-सा रिटायर्ड सज्जन रंगीन ट्रैक सूट पहनकर जिम में भारी डम्बल उठाने की कोशिश कर रहे हैं, पास में उनकी पत्नी बाँहें बाँधे देख रही हैं, जिम में बाकी नौजवान हँसते हुए एक्सरसाइज़ कर रहे हैं — सेवानिवृत्ति के बाद ‘यौवन पुनर्जागरण’ पर व्यंग्यात्मक दृश्य।”

गालों की लाली- हो गई गाली

“कभी सूर्योदय से पहले नहीं उठने वाले अब मुंह-अंधेरे ‘हेलो हाय’ करते जॉगिंग पर हैं। ट्रैक सूट, डियोडरेंट और महिला ट्रेनर ने जैसे रिटायरमेंट में…

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“गहन अमावस्या के आकाश में भारत का मानचित्र दीपों से आलोकित है — दीयों की ज्योति से लक्ष्मी, महावीर, शिव और राम के प्रतीक उभर रहे हैं, एक ध्यानमग्न मानव आकृति दीप के भीतर बैठी आत्मज्योति का प्रतीक है — अंधकार से प्रकाश की ओर मानव चेतना की यात्रा का सांकेतिक चित्र।”

दीपावली — अंधकार के गर्भ से ज्योति का जन्म

“दीपावली अमावस्या की निस्तब्धता से जन्मी वह ज्योति है जो केवल घर नहीं, हृदय की गुफाओं को आलोकित करती है। यह बाह्य उत्सव से अधिक…

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“अमावस्या के अंधकार में रखा एक छोटा दीप, जिसकी लौ से मानव आकृति का आलोक उभर रहा है — अंधकार से प्रकाश की ओर आत्म-यात्रा का प्रतीकात्मक चित्र।”

नरक चतुर्दशी — रूप, ज्योति और आत्म-शुद्धि की यात्रा

“नरक चतुर्दशी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भीतर के नरक से मुक्ति का पर्व है। यह मन की अंधकारमय प्रवृत्तियों से प्रकाशमय चेतना की ओर…

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“कार्टून चित्र जिसमें एक युवा इमोजी और संक्षिप्त चैट शब्दों (‘LOL’, ‘BRB’, ‘TTYL’) से घिरा मोबाइल चला रहा है, और पास ही एक बुज़ुर्ग व्यक्ति हैरान होकर उस चैट को देख रहा है — दो पीढ़ियों के बीच भाषा की खाई का व्यंग्यात्मक चित्रण।”

जीनीयस जनरेशन की ‘लोल’ भाषा

“जेन ज़ी की ‘लोल भाषा’ ने व्याकरण के सिंहासन को हिला दिया है। अब भाषा नहीं, भावना प्राथमिक है। अक्षरों का वजन घट रहा है,…

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