Login    |    Register
Menu Close
एक आम आदमी चप्पल पहने, सपनों की दुनिया में रंगीन चश्मा लगाए खुले आसमान की ओर देख रहा है, पीछे हल्का धुंधला बैकग्राउंड है जिसमें महल, रॉकेट, संसद और भारत माता की छवि बसी हुई है। वह अकेला किंतु संतुष्ट दिखाई देता है, मानो अपने सपनों में मगन हो।

व्यंग्य चिंतन में मुंगेरीलाल

मुंगेरीलाल केवल एक चरित्र नहीं, हर आम आदमी की अंतरात्मा है जो कठिन यथार्थ के बीच भी सुनहरे सपने देखता है। वह न पाखंडी है,…

Spread the love
अमरनाथ यात्रा के दौरान खच्चर और पालकी से पहाड़ी रास्तों पर चढ़ते श्रद्धालु, सामने बर्फ से ढकी चोटी, एक तरफ़ टूटे रास्ते पर गिरती युवती, दूसरी ओर बाबा बर्फानी की गुफा के दर्शन करते श्रद्धालु — थके, डरे, लेकिन संतुष्ट। वातावरण में बर्फ, कीचड़ और आस्था का समावेश।

बाबा बर्फानी की वो अद्भुत यात्रा.-भाग द्वितीय

यात्रा संस्मरण में लेखक ने अमरनाथ यात्रा के अनुभव को व्यंग्य, यथार्थ और करुणा के त्रिकोण में पिरोया है। हेलिकॉप्टर टिकट से लेकर खच्चर की…

Spread the love
अमरनाथ यात्रा के दौरान खच्चर और पालकी से पहाड़ी रास्तों पर चढ़ते श्रद्धालु, सामने बर्फ से ढकी चोटी, एक तरफ़ टूटे रास्ते पर गिरती युवती, दूसरी ओर बाबा बर्फानी की गुफा के दर्शन करते श्रद्धालु — थके, डरे, लेकिन संतुष्ट। वातावरण में बर्फ, कीचड़ और आस्था का समावेश।

बाबा बर्फानी की वो अद्भुत यात्रा-भाग प्रथम

इस व्यंग्यात्मक यात्रा संस्मरण में लेखक ने अमरनाथ यात्रा के अनुभव को व्यंग्य, यथार्थ और करुणा के त्रिकोण में पिरोया है। हेलिकॉप्टर टिकट से लेकर…

Spread the love
व्यंग्यात्मक प्रतीकों का एक चित्र जिसमें आम, बंदर, सांप, दीवारें, नेता आदि को व्यंग्य के भाव में प्रस्तुत किया गया है।

आजाद गजल -क्या मिला!

प्रह्लाद श्रीमाली की यह रचना हास्य और कटाक्ष के माध्यम से सामाजिक व्यवहारों, ढकोसलों और राजनीतिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती है। ‘क्या मिला?’ के…

Spread the love