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कार्टून चित्र जिसमें एक चिंतित लेखक लैपटॉप पर मेल इनबॉक्स देख रहा है; स्क्रीन पर लिखा है – “हम आपका लेख छापेंगे… किसी दिन!” पास में कॉफी का कप, मेज पर बिखरे अधूरे लेख और कोने में “यथासमय” लिखा हुआ कैलेंडर। लेखक के चेहरे पर उम्मीद और थकान दोनों झलक रहे हैं।

हम आपका लेख छापेंगे… किसी दिन

लेखन भेजना आसान है, लेकिन उसके बाद की प्रतीक्षा ही असली ‘कहानी’ बन जाती है। संपादक का “यथासमय” जवाब लेखकों के जीवन का सबसे रहस्यमय…

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काले सूट में अमिताभ बच्चन का हाफ-प्रोफाइल पोर्ट्रेट; बैकग्राउंड में फिल्म रील, ‘दीवार’ और ‘शोले’ के प्रतीक, एक तरफ जया और रेखा की सिल्हूट, दूसरी तरफ संसद और टीवी स्टूडियो की झलक।

अमिताभ: स्टारडम से सरोकार तक — एंग्री यंग मैन की जर्नी, रिश्ते और विवाद

चार पीढ़ियों को मोहित करने वाली आवाज़ से लेकर राजनीति, रिश्तों और 1984 के आरोपों तक—अमिताभ बच्चन की जर्नी जहां स्टारडम चमकता है और सरोकार…

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ग्राम्य यादों का कोलाज: बच्चे मिट्टी में खेलते, तालाब में तैरते, थैलों में बाजरे-ज्वार के खेत, आँगन में खाट पर बैठे चाँद-तारों से बातें करते लोग; दादी हाथ में चटाई लेकर चिड़ियों की कहानी सुना रही है; बैकग्राउंड में खादी टोपी, पारम्परिक स्नैक्स और बाग़ की हरियाली — सेफ़िया-नॉस्टैल्जिया, प्रकृति-कनेक्शन और ग्रामीण जीवन की गर्माहट का दृश्य।

हम उस ज़माने के थे -हास्य व्यंग्य रचना

“हम उस ज़माने के थे — जब ‘फ्री डिलीवरी’ मतलब रामदीन काका के बाग़ के अमरूद थे।” “खेतों की हवा, खाट पर रातें और दादी…

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सर्किट हाउस के पोर्च पर लक्ज़री कार से उतरते काले चश्मे और सफेद कुर्ते-पायजाम में बड़े नेता; पीछे सफेद टोपी और खादी पहने कार्यकर्ता माला-पहनाने, सेल्फी और टॉवेल से मुंह पोंछने की होड़ में; मैदान में पट्टे-बैनरों और नारेबाज़ी के बीच बूढ़े गांधीवादी नेता की टोपी गिरकर कालीन पर पड़ी है — सत्ता, दिखावा और रस्मों की विडम्बना का कार्टूनैरिक दृश्य।

चुनावी टिकट की बिक्री-हास्य व्यंग्य रचना

“सर्किट हाउस की दीवारों में लोकतंत्र की गूँज नहीं — सिर्फ फ़ोटोग्राफ़ और आरक्षण की गंध है।” “माला पहनी, सेल्फी ली — और गांधी टोपी…

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संसद में उड़ता हुआ जूता, मंत्री के भाषण के दौरान मीडिया कैमरे से कवर करते हुए — व्यंग्यात्मक कार्टून दृश्य।

जूता पुराण : शो-टाइम से शू-टाइम तक

इन दिनों जूते बोल रहे हैं — संसद से लेकर सेमिनार तक, हर मंच पर चप्पलें संवाद कर रही हैं। कभी प्रेमचंद के फटे जूतों…

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Humorous cartoon of Karva Chauth night showing wives looking at their husbands through sieves instead of the moon, husbands holding “Love Recharge Pack” signs, and a crooked moon laughing in the sky while a scared neighbor hides from fasting wives.

करवा चौथ का व्रत-हास्य-व्यंग्य

करवा चौथ का व्रत अब प्रेम का नहीं, रिचार्ज का उत्सव बन गया है — पतियों की “लाइफटाइम वैलिडिटी” हर साल नए गिफ्ट और पैक…

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Students of MBM School Mirzapur participating in the Lions Club Sarthak Peace Poster Contest under Sevankur Seva Week, creating colorful artworks on the theme “We Are All One,” with judges and Lions members appreciating their creativity.

रंगों में रचा संदेश – लायंस क्लब सार्थक की “पीस पोस्टर प्रतियोगिता

लायंस क्लब सार्थक द्वारा सेवांकुर सेवा सप्ताह के अंतर्गत एम.बी.एम. स्कूल, मिर्ज़ापुर में पीस पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। बच्चों ने “हम सब एक हैं”…

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Portrait of Hungarian author László Krasznahorkai holding a book, deep in thought, surrounded by soft warm light and blurred bookshelves in the background, symbolizing his dense and meditative writing style.

ला:स्लो क्रॉस्नॉहोरकै — शब्दों के प्रवाह में बहता अँधकार : साहित्य का नोबेल पुरस्कार 2025

László Krasznahorkai, the Hungarian master of long, meditative sentences and existential depth, has been awarded the 2025 Nobel Prize in Literature. His works—filled with flowing…

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