तेरा लाल मां तुझे पुकारे Vidya Dubey October 4, 2025 हिंदी कविता 2 Comments कविता “तेरा लाल मां तुझे पुकारे” मां और पुत्र के भावनात्मक रिश्ते का सुंदर चित्र है। इसमें भक्त पुत्र अपने लाल वस्त्रों, फूलों, चुनरिया और… Spread the love
आउल जी को भेंट-हास्य व्यंग्य कविता Ram Kumar Joshi October 4, 2025 हिंदी कविता 2 Comments सूरत की राजनीति में खानदानी गुरुर ने ऐसा पेंच फँसाया कि ‘बाई’ की जगह ‘राड’ निकल गया। जनसभाओं में गुणगान करते-करते सीट हाथ से निकल… Spread the love
अमीर दिखने का विज्ञान-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' October 3, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments अमीर दिखना अब कोई मुश्किल नहीं, बस सही नुस्ख़े चाहिए। घर की सफ़ाई से लेकर कॉफी कप, फ्रिज के एवोकाडो और कॉलर वाले नाइट सूट… Spread the love
मैंने आईफोन क्यों लिया?-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' October 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “आईफोन क्यों लिया?” इस सवाल का जवाब तकनीकी फीचर्स नहीं, बल्कि स्वैग है। लेखक व्यंग्य में बताते हैं कि आईफोन खरीदने के बाद आत्मविश्वास भी… Spread the love
वरिष्ठ नागरिक दिवस-बुजुर्गों के प्रति सम्मान, सहयोग और सामाजिक जिम्मेदारी का दिवस Vivek Ranjan Shreevastav October 3, 2025 Important days 0 Comments पहली अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस हमारे समाज के उन वरिष्ठजनों को समर्पित है जिनके अनुभव और मार्गदर्शन के बिना वर्तमान और… Spread the love
अथ खालीदास साहित्यकथा-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' October 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “अथ खालीदास साहित्यकथा” आज के साहित्य की खिचड़ी परोसती है। फेसबुकिये कविराज, ट्विटरबाज महंत, सेल्फी–क्वीन और रीलबाज कविगण – सब मंच से उतरकर मोबाइल स्क्रीन… Spread the love
दशहरा 2025: क्यों रावण जलता है और राम पूजित होते हैं? एक दार्शनिक विमर्श डॉ मुकेश 'असीमित' October 2, 2025 India Story 0 Comments दशहरा केवल पुतलों का त्योहार नहीं, यह मनुष्य के भीतर छिपे रावण और राम के बीच की लड़ाई है। रावण के पास सामर्थ्य, ज्ञान और… Spread the love
कलियुग का रावण-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' October 2, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment अख़बार ने लिखा — इस बार रावण ‘मेड-इन-जापान’! पुतला बड़ा, वाटरप्रूफ, और दोनों पैरों से वोट माँगने तैयार। हम रोते नहीं, तमाशा देखते हैं: रावण… Spread the love
दिवाली की सफाई: घर, किताबें और कबाड़ी वाला – एक व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' October 2, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments दिवाली का असली मतलब घर की महिलाओं के लिए सफाई है। और सफाई सिर्फ झाड़ू-पोंछा नहीं, बल्कि पति के शौक की चीज़ों को कबाड़ी वाले… Spread the love
गरबा का थोथा गर्व-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' October 1, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments नवरात्रि आते ही शहर गरबा-डांडिया के बुखार में तपने लगता है। भक्ति पीछे, डीजे आगे—फ़ैशन शो, सेल्फ़ी, और सार्वजनिक रोमांस! माँ दुर्गा कोने में दो… Spread the love