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कोरोना विषाणु और सहअस्तित्व

अदृश्य जीवों का विलक्षण संसार। मानव अपने बौद्धिक अहंकार में इनके अस्तित्व को तुच्छ मान कर चल रहा था। सोच रहा था, वह सर्वेसर्वा है।……

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भारत की पलायन करती अर्थव्यबस्था पर कविता

गर लौट सका तो जरूर लौटूंगा, तेरा शहर बसाने को।पर आज मत रोको मुझको, बस मुझे अब जाने दो।।मैं खुद जलता था तेरे कारखाने की……

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राष्ट्र निर्माण हेतु आत्म अवलोकन-बदलता परिवेश भटकते युवा

राष्ट्र निर्माण हेतु आत्म अवलोकन-बदलता परिवेश भटकते युवा

राष्ट्र निर्माण में कहीं न कहीं हमें युवा पीढ़ी को सन्मार्ग की ओर लगाने के लिए आत्म अवलोकन करना जरूरी है ,और आत्म अवलोकन कर…

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Corona crisis-How to avoid tension

कोरोना महामारी का मनोवैज्ञानिक असर, एक नये खतरे का आगाज

जिस तरह कोरोना महामारी एक विकराल रूप लेकर पूरे विश्ब को चुनोती दे रही है ,उस से पूरा मानव समाज में जो मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा…

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mita kabhi koi hindi kavita

“मिटा कभी कोई ” हिंदी कविता महादेब “प्रेमी “द्वारा रचित

मेरी कविता “मिटा कभी कोई” व्यक्ति के सहस और विवेक की बात करती है की कैसे एक व्यक्ति सहस और विवेक से साधन हीन होते…

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गाँवों में दीखता हिंदी कविता

“गाँवो में दिखता” हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

गाँवो में दिखता शीर्षक कविता गाँव के परिद्रश्य को दर्शाती ,आज भी गाँवो को शहरो से श्रेष्ठ होने का आभास कराती है. Spread the love

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