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अब भी कहेंगे प्राइवेट हॉस्पिटल लूटते हैं?

अब भी कहेंगे प्राइवेट हॉस्पिटल लूटते हैं???

वुहान में जब कोरोना शुरू हुआ था तो पड़ोसी राक्षसी मुल्क ने 10 दिन में हज़ारों बेड्स का एक विश्वस्तरीय अस्पताल खड़ा कर लिया था।
भारत मे लॉक डाउन शुरू हुए 3 महीने होने को हैं।देश की राजधानी दिल्ली में हम 3 महीने में एक भी सरकारी अस्पताल को इस स्तर का नही बना पाए जिसमें दिल्ली के स्वाथ्य मंत्री जी को आधुनिक इलाज़ मिल सके।उन्हें एक कॉर्पोरेट हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा है।उसी कॉर्पोरेट हॉस्पिटल में जिसकी एक ब्रांच के लाइसेंस को इन्ही की सरकार ने साल भर पहले इसलिए सस्पेंड किया था क्योंकी वहां डॉक्टर्स एक 24 सप्ताह के भ्रूण को नही बचा पाए थे।
अब शायद भोली भाली जनता को उस सवाल का जवाब मिल गया होगा जिसमे पूछा गया था कि मालदीव्स के रिसॉर्ट्स से भी महंगे क्यों हैं दिल्ली के कॉर्पोरेट अस्पताल। आपकी सरकार ,जिसके पास न फंड्स की कमी होती है, न अन्य संसाधनों की वो पिछले 70 साल में इन कॉर्पोरेट अस्पतालों जैसी सुविधाओं वाला एक भी सरकारी अस्पताल दिल्ली में नही बना पाई।यनि ऐसे अस्पताल बनाना और चलाना आपकी ताकतवर सरकारों तक के वश की बात नही है,इसलिए इन अस्पतालों के रेट्स मालदीव्स के रिसॉर्ट्स से भी ज्यादा हैं।
वैसे, सरकारी अस्पतालों को तो भोली भाली जनता फ्री समझती है। जबकि सरकारी अस्पतालों के खर्च की यदि सही -सही गणना की जाए तो वो शायद प्राइवेट अस्पतालों से भी महंगे साबित होंगे।एक सरकारी अस्पताल में काम करने वाले सभी डॉक्टर्स ,सभी पैरामेडिक्स व अन्य कर्मचारियों की तनख्वाह और अन्य खर्च जोड़ें जाएं तो वो राशि कम नही होगी।शायद वो राशि इतनी अधिक हो कि जितने में हर मरीज़ का प्राइवेट अस्पताल में इलाज़ हो सके। सरकारी अस्पतालों को बनाने और चलाने में जो पैसा खर्च होता है वो सारा पैसा दरअसल टैक्सपेयर्स की जेब से जाता है। मतलब जिन सेवाओं को हम फ्री समझने की भूल करते हैं,वो फ्री होती नही हैं।बस इतना सा फ़र्क़ है कि उन सेवाएं का भुगतान मरीज़ के स्थान पर देश का टैक्स पेयर करता है।
सरकारी स्वाथ्य सेवाओं पर इतना पैसा खर्च करने के बावजूद इस देश के महान नेता जब बीमार होते हैं तो या तो प्राइवेट अस्पतालों का रुख करते हैं या विदेश भाग जाते हैं।
भोली भाली जनता ,जो हर समय प्राइवेट सेक्टर को लुटेरा बोल कर सवाल पूछती हैं उसे अब अपनी सरकार और अपने प्रिय नेताओं से भी एक सवाल पूछना चाहिए,” बड़े – बड़े सरकारी अस्पतालों के होते हुए भी किसी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को किसी ऐसे प्राइवेट अस्पताल में क्यों जाना पड़ा जिसे वो हरदम लुटेरा बोलते थे ?जिसका लाइसेंस वो रद्द करते थे,जिन्हें बंद करने की धमकी देते थे!

-डॉ राज शेखर यादव
फिजिशियन एंड ब्लॉगर

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1 Comment

  1. Dr. Garima

    Very True …..Due to corona pandemic they are not going abroad for treatment otherwise it they would have certainly gone .

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