वाह भाई वाह -कविता -हास्य व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 7, 2025 हिंदी कविता 0 Comments सामाजिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती ये कविता ‘वाह भाई वाह’ हमें उन विसंगतियों का एहसास कराती है जहाँ ज़िंदगी त्रासदी बन चुकी है, फिर… Spread the love
अधगल गगरी छलकत जाए-हास्य-व्यंग्य Vivek Ranjan Shreevastav July 5, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments आज की डिजिटल दुनिया में अधजल गगरी का छलकना नए ट्रेंड का प्रतीक बन गया है। सोशल मीडिया पर ज्ञान कम और आत्मविश्वास ज़्यादा दिखाई… Spread the love
Candle March — Of the Mighty “Mom-Batti Veers” डॉ मुकेश 'असीमित' April 30, 2025 Satire 1 Comment A razor-sharp satire on today’s photo-op revolutions, Candle March – Of the Mighty “Mom-Batti Veers” mocks performative activism where grief is glamorized and protests are… Spread the love
दिव्यांग आम-व्यंग रचना -डॉ मुकेश गर्ग डॉ मुकेश 'असीमित' May 26, 2024 हिंदी लेख 0 Comments “आम का एक प्रकार है लंगड़ा आम। जब सरकार ने लंगड़ा शब्द को डिक्शनरी से हटा दिया और दिव्यांग शब्द जोड़ दिया, तो फिर आम… Spread the love