“तिनका ” हिंदी कविता by Mahadev premi

आज की मेरी कविता उन दुराभावो को दूर करने के लिए प्रेरित है जिस के चलते हम अपने से तुच्छ या नीचे ओहदे बाले व्यक्तियों कोइ सैदेव उलाहना या निंदा करते है. किसी भी व्यक्ति विशेष को उसके पद या हैसियत के हिसाब से छोटा या नीच नहीं समझना चाहिए,परिस्थितिया आपके प्रतिकूल होने पर ही भी आपके लिए कष्टकारी हो सकता है.

“तिनका”
तिनका तुच्छ न समझिये, पांव तले भी होय,
कभी आंख जाकर पड़ा, दुख जो भारी होय,

दुख जो भारी होय ,पडे जब तिन आंखों में,
चींटी सम ही होय, कि चोट करै लाखों में,

भाई लघु ना समझ,कभी कोई तिन के को,
तिन का बने पहाड,कि याद रहे जन जन को,

“प्रेमी” सब से बड़ा,मान चलिये कण के को,
डूबत को दे श्रेय,चलें हम उस तिनके को।

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Mahadev Prashad Premi

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी…

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी गर्ग होस्पीटल गंगापुर सिटी ,स0 मा0 (राज0)322201 मोबाईल 9667627720 संप्रति:चिकित्सा कर्मी कार्य क्षेत्र:चिकित्सा कार्य लेखन विधा-गजल,गीत,कविता और पहेली लेखन आदि प्रकाशन:(1)”बूझोबल” पहेली संग्रह प्राप्त सम्मान:कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान प्राप्त लेखनी उद्देश:सामाजिक विसंगतियों पर लिखना प्रेरणा पुञ्ज:स्वयम एवम अन्य लेखक रुचियां: साहित्य लेखन/अध्यापन

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