“चलना सच की राह” हिंदी कविता

डॉ मुकेश 'असीमित' May 20, 2020 Poems 0

कविता शीर्षक “चलना सच की राह” हमे कैसी भी विपरीत परिस्थितियों में सच का मार्ग नही छोड़ने की प्रेरणा देती है। “चलना सच की राह” (कुण्डली 8चरणचलना सच की राह पर, आज नहीं आसान,झूठ विके झट पट यहां, सच की बंद दुकान,सच की बंद दुकान, बजी झूठों की तूती,झूठे सव आवाद ,बनी सव दुनियां झूठीभाषण […]

मानवता के सच्चे कर्णधार

Sunita Sharma May 20, 2020 Poems 5

डाॅक्टर, नर्स, सफाईकर्मी, पुलिस या चाहे हो वो पत्रकार विपत्ति की विकट घड़ी में लगते स्वयं ईश्वर का अवतार   स्वहित त्याग कर लोकहित के लिए जिन्होंने त्यागा अपना घर-बार उन्हीं में ढूंढो उसको, जिसके लिए तुम जाते मन्दिर मस्जिद या गुरुद्वार   शत शत नमन भी कम पड़ते हैं ये मानवता के सच्चे कर्णधार […]

मंथन

Sunita Sharma May 20, 2020 Poems 6

रातें क्यूं है सोई सोई दिन की धूप भी है खोई खोई   क्या हुआ ये , कैसा है मंजर हाथों से छूटा, मानव का खंजर   इस खंजर से वो, प्रकृति को नोचता था स्वार्थ में हो अन्धा, कुछ न सोचता था   पक्षी उन्मुक्त हो, कैसे चहचहाए हवाएं भी सुगन्धित होकर गुनगुनाएं   […]

हरियाली हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

डॉ मुकेश 'असीमित' May 19, 2020 Poems 0

कविता" हरियाली " प्रकृति की खूबसूरती को बयान करती कविता है. किस तरह कवी को श्रावण मास में गाँव का वो स्वछन्द वतावरण और प्रकृति की छटा याद आती है

नारी जीवन हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

Mahadev Prashad Premi May 18, 2020 Poems 1

नारी जीवन’ कविता नारी के महत्व और समाज में उसके विशेष स्थान का बोध कराती है . “नारी जीवन” (कुण्डली6चरण ) नारी जीवन दायिनी,नारी से संसार,हर रिश्ते की जान,वो वो ही घर परिवार, वो ही घर परिवार,वही ये जग के नाते,नारी शक्ती रूप,प्रेम नारी से पाते, “प्रेमी” नर वुनियाद बनी ,नारी के ही तन,नारी की […]

भारत की पलायन करती अर्थव्यबस्था पर कविता

डॉ मुकेश 'असीमित' May 18, 2020 Poems 0

गर लौट सका तो जरूर लौटूंगा, तेरा शहर बसाने को।पर आज मत रोको मुझको, बस मुझे अब जाने दो।।मैं खुद जलता था तेरे कारखाने की भट्टियां जलाने को,मैं तपता था धूप में तेरी अट्टालिकायें बनाने को।मैंने अंधेरे में खुद को रखा, तेरा चिराग जलाने को।मैंने हर जुल्म सहे भारत को आत्मनिर्भर बनाने को।मैं टूट गया […]

“मिटा कभी कोई ” हिंदी कविता महादेब “प्रेमी “द्वारा रचित

Mahadev Prashad Premi May 17, 2020 Poems 0

मेरी कविता "मिटा कभी कोई" व्यक्ति के सहस और विवेक की बात करती है की कैसे एक व्यक्ति सहस और विवेक से साधन हीन होते हुए भी कर्मशील बन जाता है और जीवन में सफल हो सकता है.