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क्या हमे अब सदा के लिए coronavirus के साथ जीना है ?

Kya hume sada ke liye corona virus ke saath jeena hai

जिस तरह से कोरोना खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है उस से तो शायद येही लगता है हमे अब इस कोरोना रुपी राक्षस के साथ जी लेने की आदत डाल लेनी चाहिए . यु तो विश्ब भर में इस महामारी को खत्म करने के अथक प्रयास किये जा रहइ है फिर भी ऐसा लगता है जैसे यह बीमारी विश्ब में कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं होगी

क्या हमे अब कोरोना के साथ ही जीना पड़ेगा
क्या हमे अब कोरोना के साथ ही जीना पड़ेगा

कोरोना महामारी की कुछ सचाइया जो विश्ब भर में सामने आई है बह चिंता की बात है

1. जब तक की कोई ख़ास वेक्सिन या प्रभावी दवाई इस महामारी को दूर करने की नहीं बनेगी तब तक यह मह्मारी क्ख्तं नहीं हो सकती

2. ऐसे लाखो लोग संक्रमित है जिनमे कोई लक्ष्ण नहीं दिख रहे. यानी की वो संक्रमित है और दूसरो को संक्रमण फैला भी सकते है.

3.कोरोना संक्रमित मरीज की जान को खतरा ३ या ४ प्रतिशत के बीच है. मतलब ज्यादातर रोगी इस बीमारी से मुक्त हो जाते है पर उनके दुबारा संक्रमित होने असाधरण मामले भी सामने आ रहा है

4. विभिन्न देशो में कोरोना की गंभीरता के मामले अलग अलग है.इसका अर्थ यहाँ हुआ की कोरोना वायरस के अलग अलग स्ट्रेन है जिनकी रोग गंभीरता भी अलग अलग है.

5. वैक्सीन तैयार होने में कम से कम2 साल लग सकते है. तब तक यहाँ संक्रमण कितनी प्रतिशत जनसँख्या को प्रभावित करेगा यहाँ कहना भी मुश्किल है

Vaccine preparation
Many Major countries are trying hard to invent a vaccine to control this pandemic

अगर कोरोनके इतिहास को देखे तो सबसे से पहले इस प्रकार के वायरस की शुरुआत चाइना से शुरू हुआ. जी हां में बात कर रहा हु कोरोना वायरस जिस ग्रुप का वायरस है उसे SARS वायरस कहते है. SARS का मीनिंग अंग्रेजी में severe acute respiratory syndrome होता है.

कैसे चमगादड़ो से इंसान में और फिर इंसान से दुसरे इंसान में यह फ्लु जैसे लक्षणों बाला वायरस देखते देखते पूरी दुनिया के लिए एक सिरदर्द बन गया | सबसे पहले SARS COV इन्फेक्शन चीन में ही 2003 में फैला. यह वायरस चमगादड़ से किसी mammels में और फिर mammels से इंसान में फैला . उस समय इस वायरस से विश्ब के कम से कम 30 देश प्रभावित हुए और लगभग 800 मौते हुई.और लगभग 8000 लोग संक्रमित हुएउसके बाद वर्ष 2012 में MERS COV नमक वायरस इन्फेक्शन फैला. MERS का मतलब middle east respiratory syndrome होता है. यहाँ वायरस 2500 लोगो को 27 देश में संक्रमित कर पाया और इस से लगभग 850 लोगो की मौत हुई.

इसके बाद COVID 19 का कहर दिसम्बर 2019 से शुरू हुआ. सब से पहले इस संक्रमण की शुरुआत चीन के ही वुहान शहर से हुई. वैज्ञानिको के मुताबिक़ यह वायरस सबसे पहले चमगादड़ में फैला. बहा से इंसानों में आया. और फिर इंसान से इंसान में फैलना शुरू हुआ. चाइना में जैसे आपको पता होगा बहा जंगली जनवारो को रोज मर्रा के खानपान में शामिल किया जाता है. वुहान शहर में बिश्व का सबसे बड़ा bat मार्किट है. कहते है यही bat मार्किट इस खतरनाक Covid -19 का एपिक सेण्टर है. पूरे विश्ब के लगभग सभी देशो में फ़ैल चूका यह वायरस अब तक ३ लाख लोगो की जान ले चुका है.

Covid-19 outbreak -world would not be same after this crisis
Covid-19 outbreak -world would not be same after this crisis Source Image-web world

एक बात पर अगर गौर करे, यह इन्फेक्शन कोई नया नहीं है. यहाँ हमारी lifestyle से जुडा हुआ है. हमारी खाने पीने की आदतों से जुदा हुआ है. यह देखा गया है की यह वायरस मांसाहारी प्र्ब्रत्ति के फ़ूड हैबिट से ज्यादा जुडा हुआ है. उसमे भी perverted नॉन वेज फ़ूड हैबिट ज्यादा जिम्मेदार है| ऐसे जानवरों को खाना जिन्जहें शायद हमे नही कहना चाहिए ,जानवरो को खाना वो भी ज़िंदा या आधा पका हुआ ,शायद इस वायरस के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है.

changing lifestyle in corona era
changing lifestyle in corona era

Coronavirus के साथ डराने बाली बात ये है की पहली बार यह वायरस इंसानों से इंसान में फ़ैल रहा है. इसलिए इसके संक्रमण की दर बहुत अधिक है. दूसरी सबसे बड़ी चिंता का विषय है इस वायरस की संरचना में लगातार आ रहे बदलाव,जीने हम अंग्रेजी में mutation कहते है. यानी की आपकी lifestyle बदल रही हो या नहीं,ये वायरस लगातार अपनी आपको बदल कर मानव जीवन के लिए खतरा बना हुआ है. इन बदलाब से ये वायरस इंसान के शरीर में लम्बे समय तक रह सकता है.

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Coronavirus की माइक्रोस्कोपिक structure की जांच करने पर पता लगता है की इसके कवर के ऊपर protein की उभरी हुई नुकीली संरचनाये होती है इन्हें स्पाइक कहा जाता है,.वायरस इन्ही spikes के जरिये होस्ट के सेल्स में जाकर चिपक जाता है. दुनिया भर के 62 देशो से इस वायरस के लिए हुए सैंपल की जांच करने से पता लगा है की इस की स्पाइक संरचना में लगातार बदलाब आ रहा है ,और यही कारन है की इसकी कारगर वैक्सीन बनना मुश्किल हो रहा है. हो सकता है जब तक कोई वैक्सीन तैयार हो यहाँ अपनी संरचना बदल ले और वैक्सीन नाकाम हो जाए

इन्ही सब संभावनाओं को देखते हुए ऐसा लग रहा है की हमे लम्बे समय तक इस कोरोना महामारी के साथ जीना पड़ेगा. यहाँ वायरस हमारा जीने का अंदाज बदल देगा. हमारी पुराणी परम्पराए बदल देगा. हमे नए नियमो और बन्धनों के साथ इस धरती पर अपनी जिन्दगी गुजारनी होगी

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आइये कोरोनाकाल की इस निराशा भरी परिस्थिति में भी अपने हौसलों और आशा की उड़ान को कम नहीं करे,एक कवी द्वारा रचित यहाँ कविता में आपको शेयर कर रहा हु

कभी कभी बेवजह मुस्कराना पड़ता है..
दिल की बात को दिल मे छुपाना पड़ता है..
चन्द कदमों की दूरी मीलों का ठिकाना लगता है..
इस कदर बेचैन है ज़िन्दगी ..
हर कदम इक नया फसाना लगता है..
हाले दिल किससे कहें …
हर अपना भी बेगाना लगता है..
दर्द के दरिया में डूबी है ज़िन्दगी ..
फिर भी हर वक्त मुस्कराना पड़ता है..
चेहरे को लोग हकीकत मान लेते है..
 खोखली हँसी को सच मान लेते हैं..
यू ही बनावट की जिन्दगी गुजारनी होगी..
झूठे सच्चे वादों के बीच दोस्ती निभानी होगी।

– परम जीत सिंह

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2 Comments

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