डॉ मुकेश 'असीमित'
May 24, 2024
व्यंग रचनाएं
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भारत की बहु-आयामी संस्कृति में एक ऐसी मिठाई है जिसने अपने रंग, रूप और स्वाद से हर उम्र के लोगों को मोहित कर रखा है – जलेबी। चाहे त्योहार हो या आम दिन, जलेबी की मिठास हर दिल को भाती है। यह लेख आपको जलेबी के रोचक इतिहास, इसके औषधीय गुणों और विभिन्न रूपों के बारे में बताएगा। साथ ही, इसमें कुछ मजेदार किस्से भी शामिल हैं जो आपके चेहरे पर मुस्कान ला देंगे। आइए, जलेबी की इस मीठी यात्रा में शामिल हों और इसकी मिठास का आनंद लें।
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 23, 2024
व्यंग रचनाएं
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इतिहास से जुड़ी कुछ मजेदार घटनाओं और स्कूल के दिनों की हंसी-मजाक पर आधारित है। कैसे हमारे शिक्षक 'मारसाहब' क्लास में सो जाते थे और हम इतिहास की किताबों से बचने की कोशिश करते थे, आज का वर्तमान, इतिहास के परिपेक्ष्य में कुछ विसंगतियां का चित्रण करने का प्रयास ।
पूरा लेख पढ़ने के लिए "बात अपने देश की" पर आइए और जानिए कैसे इतिहास की किताबों ने हमारी जिंदगी में हंसी का तड़का लगाया।
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 22, 2024
व्यंग रचनाएं
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कंसल्टेंसी का व्यवसाय तेजी से फल-फूल रहा है, चाहे वो फाइनेंशियल, टैक्स, लीगल, स्टॉक मार्केट, कंपनी, या ज्योतिष कंसल्टेंट हों। पर क्या आप सोच सकते हैं, इस देश में जहाँ हर गली-मोहल्ले में मुफ्त सलाह मिल जाती है, कोई सलाह देने का भी व्यवसाय कर सकता है? यहाँ हर कोई खुद को किसी भी विषय का एक्सपर्ट मानता है और मुफ्त में सलाह देने को तत्पर रहता है।
"भैया, ये डिग्री की बात नहीं, अनुभव की बात है।" इस तकीया कलाम के साथ आपको ऐसे सलाहकार हर जगह मिलेंगे, जो अपनी सलाह की गारंटी और वैलिडिटी बताते नहीं थकते। चाहे आप घर में हों, दफ्तर में, बस-ट्रेन में या रास्ते में, ये सलाह देने के लिए तैयार रहते हैं।
क्या आप भी इन मुफ्त के रायचंदों के अनुभवों से गुजर चुके हैं? जानिए ऐसे ही दिलचस्प अनुभवों और सलाहकारों की कहानियाँ हमारे ब्लॉग "बात अपने देश की" पर। पूरा लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करें।
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 19, 2024
व्यंग रचनाएं
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एक खास सुबह की सैर के दौरान, मेरे कानों में बॉलीवुड के जोरदार संगीत के साथ मैं चल रहा था जब मेरा मित्र मुझसे मिला। उसने खुलासा किया कि हमारे एक खास दोस्त रोमेश के घर में तकरार हो गई है। रोमेश की पत्नी ने घर छोड़ दिया है और चार दिन से मायके में है। मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि रोमेश ने इस बारे में मुझे कुछ नहीं बताया था। मेरे दोस्त ने चटखारे लेते हुए यह बातें बताईं, जिससे मुझे उनकी ईर्ष्या की बू आ रही थी। खैर, मैं ने रोमेश के घर जाने का फैसला किया। इसके आगे की कहानी जानने के लिए बात अपने देश की पर आमंत्रित है -
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 18, 2024
व्यंग रचनाएं
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इस व्यंग्यात्मक रचना में आधुनिक समय में नामकरण की प्रक्रिया के व्यापारीकरण पर कटाक्ष किया गया है। यहाँ बताया गया है कि कैसे परंपरागत रीति-रिवाजों का स्थान अब न्यूमेरोलॉजी और ऑनलाइन प्लेटफार्मों ने ले लिया है, जहाँ नाम न केवल एक शब्द बल्कि एक ब्रांड बन गया है। लेखक ने विडंबना दिखाई है कि किस तरह से लोग अपने नाम में अक्षर जोड़ या घटाकर खुद को अधिक भाग्यशाली समझने लगे हैं। यहाँ यह भी व्यक्त किया गया है कि पहले नामकरण एक साधारण और संवेदनशील प्रक्रिया हुआ करती थी, जिसमें धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता था, पर अब यह केवल व्यावसायिक और सतही रीति बन चुकी है। इस प्रक्रिया के जरिये, व्यंग्यकार ने हमारी आधुनिक सामाजिक संरचनाओं पर गहरी टिप्पणी की है, जिसमें नाम के पीछे की असली पहचान और महत्व को भुला दिया गया है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 17, 2024
व्यंग रचनाएं
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“रेलवे की लाइनों में जीवन के उतार-चढ़ाव की गाथा: प्रौद्योगिकी और व्यवहार की चुनौतियों के बीच, सामाजिक चेहरा और व्यक्तिगत जद्दोजहद का आईना।” रेलवे के टिकट विंडो की लाइन में लगा हुआ हूँ, रेल यात्रियों के बढ़ते दबाव से परेशान होकर और अमृत योजना के बजट का कुछ अंश खर्च करके टिकट विंडो का चौड़ीकरन […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 16, 2024
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'कोई हमारे नाम के आगे भी तखल्लुस सुझाए -व्यंग रचना' में लेखक ने अपने लेखनी के सफर को जिस खूबसूरती से बयां किया है, वह न सिर्फ आपको मुस्कुराने पर मजबूर कर देगा, बल्कि कई बार आपको गहराई से सोचने पर भी विवश कर देगा। अगर आप भी चाहते हैं कि लेखन की इस कला में आपके नाम के आगे एक खास पहचान जुड़े, तो इस लेख को अवश्य पढ़ें। आइए, हमारे साथ जानिए कि एक डॉक्टर कैसे अपने लेखन के जरिए अपने आस-पास के माहौल का न केवल चित्रण करता है, बल्कि उसमें व्यंग्य का तड़का भी लगाता है। इस विचारोत्तेजक यात्रा में हमारे साथ शामिल हों और इस लेख को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 15, 2024
व्यंग रचनाएं
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“जब गायन का भूत सिर पर सवार हुआ, तो लगा कि शायद मैं भी किसी रॉकस्टार की तरह मंच पर छा जाऊंगा “ यूँ तो जिंदगी में शौक पालना जैसे मेरा शगल बन गया है, हर नए शौक को अपनाया है तो एक जूनून के साथ और जब छोड़ा है तो ऐसे छोड़ा है जैसे […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 14, 2024
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सेवानिवृत्ति का सुख" कथा में नायक सेवानिवृत्ति की दोहरी प्रकृति पर चिंतन करता है। जहां कई लोग इसे आराम और स्वतंत्रता के चरण के रूप में देखते हैं, वहीं उसके लिए यह सामाजिक स्थिति की हानि और जीवन भर की दिनचर्या के समाप्त होने का प्रतीक है। इस खाते में उनकी पूर्व सहकर्मियों के साथ दैनिक संवादों और सेवानिवृत्ति के जीवन की अपेक्षाओं और वास्तविकता के बीच के तीखे विरोधाभास को जीवंत रूप से चित्रित किया गया है। यह उम्र बढ़ने की विडंबना और हास्य पर स्पर्श करता है, जहां कभी सम्मानित पेशेवर अब सामान्य कार्यों और घटती प्रासंगिकता के अनुकूलन में खुद को पाते हैं, जिससे सेवानिवृत्ति के जीवन की जटिलताएं और अप्रत्याशित मोड़ सामने आते हैं।
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 13, 2024
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इस लेख में, एक निजी चिकित्सक का व्यंग्यात्मक चित्रण किया गया है जो अपने पेशेवर जीवन में उतने सफल नहीं हैं जितना समाज से उम्मीद की जाती है। वह अपने डेस्कटॉप पर बैठकर सोशल मीडिया चलाने, लेखन करने और डिजिटल कला में अपनी रचनात्मकता को प्रदर्शित करने जैसे कार्यों में व्यस्त रहते हैं, जबकि उनकी पत्नी उन्हें हॉस्पिटल पर अधिक ध्यान देने के लिए ताने मारती हैं। उनकी जीवनशैली और कार्यशैली से उनके स्टाफ को भी अपने शौक पूरे करने का समय मिल जाता है, जिससे हॉस्पिटल में उनकी ड्यूटी एक पार्ट टाइम जॉब की तरह बन जाती है। डॉक्टर साहब अपने कार्यकाल के दौरान खाली समय में लोगों के तंजों का सामना करते हैं और समाज उन्हें एक निष्क्रिय व्यक्ति के रूप में देखता है | यह आलेख समाज में डॉक्टरों के प्रति रूढ़िवादी उम्मीदों और वास्तविकता के बीच के अंतर को दर्शाता है।