“अपनी राह” हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

“अपनी राह”
कुण्डली 8चरण

अपनी राह स्वयम् चुनो,तव पाओगे मान,
नदियां सागर में मिले,खो अपनी पहचान,

खो अपनी पहचान,नदी सागर में मिलती,
मीठे जल को छोड़,सभी सागर में ढलती,

जव तक अपनी राह,चली पूज्यनिय बनी थी,
प्रथक नदी के नाम,साथ सम्मान वही थी,

“प्रेमी”मार्ग नेक ,तो सफल होयगी चाह,
,सुयश चाहत हो यदि,मत छोडो अपनी राह।

रचियता महादेव प्रेमी

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Mahadev Prashad Premi

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी…

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी गर्ग होस्पीटल गंगापुर सिटी ,स0 मा0 (राज0)322201 मोबाईल 9667627720 संप्रति:चिकित्सा कर्मी कार्य क्षेत्र:चिकित्सा कार्य लेखन विधा-गजल,गीत,कविता और पहेली लेखन आदि प्रकाशन:(1)”बूझोबल” पहेली संग्रह प्राप्त सम्मान:कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान प्राप्त लेखनी उद्देश:सामाजिक विसंगतियों पर लिखना प्रेरणा पुञ्ज:स्वयम एवम अन्य लेखक रुचियां: साहित्य लेखन/अध्यापन

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