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Red Wattled lapwing- टिटहरी नाजिम वाला तलब-Dr Mukesh Garg

Red Wattled Lapwing -Nazim vala Talab

नाजिम वाला तालाब में परिंदों की दुनिया में मैं आज इस पक्षी की बात कर रहा हूं यह बहुत ही सामान्य पक्षी है जो अक्सर हमें हमारे आसपास के खेतों में आवासीय स्थानों में दलदली भूमि में पानी के स्रोत के किनारे अपनी टिपिकल टी टी की आवाज करता हुआ मिल जाता है जी मैं बात कर रहा हूं टिटहरी की जिसके साथ कई मान्यता है भारत में स्पेशली वर्षा ऋतु को लेकर जुड़ी हुई है कहते हैं कि टिटहरी जो आकाश पर पांव उठा लेती है यह बाग बगीचों और जंगलों के निकट जहाँ सूखे ताल और नरकुल तथा सरपत की झाड़ियाँ हो, प्राय: रहता है। यह एकदम भूमि पर रहनेवाला पक्षी है और अपना सारा समय खुले मैदान में घूमकर बिताता है। यह अपनी खूराक के लिए दिन की अपेक्षा रात में चक्कर लगाता है। अपने मटमैले रंग के कारण लोगों का ध्यान इसकी ओर तब तक आकृष्ट नहीं हो पाता जब तक यह आवाज कर भागता या उड़ता नहीं। खतरे के समय यह पर समेट कर जमीन में दुबक जाता है। सामान्यत: यह अकेले या जोड़े में रहता है।

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इसका मुख्य भोजन कीड़े मकौड़े हैं। टिटहरी के नर एवं मादा एक रुप होते हैं लंबाई 13 इंच सिर गला एवं वक्ष का ऊपरी भाग काले रंग का आगे पीछे से एक श्वेत चौड़ी पट्टी सिर के पीछे से होती हुई पेट के श्वेत भाग से मिलती है पीठ का रंग भूरा तांबे के रंग की झलक के साथ मिलता है काले ड़ेनो पर श्वेत धारी पूंछ से आंख ललछोहें भूरी चोंच लाल जिसका आगे बढ़ा भाग नुकीला अवम कला टांगे चटक पी ली परंतु बच्चों का सिर बुरा एवं गला श्वेत होता है निवास यह बारहमासी चिड़िया है जो लगभग हर जलाशय नदी पोखर आदि के किनारे चलती हुई दौडती हुई मिल जाती है

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पूरे भारत में यह पायी जाती है यह पानी के किनारे बहुत तीव्र गति से आहार ढूंढती दौड़ती रहती है मानव बस्ती के निकट के पोखर वादी में प्राय बहुत ही निकट से देखी जाती है इसके अंडे या बच्चे पास होते हैं तो कोलाहल करते हुए डराकर भगाने का प्रयास करती है प्रजनन समय मार्च से अगस्त के बीच में होता है उस समय मादा भालू में या खुले क्षेत्र में किसी के गड्ढे में चार से पांच अंडे देती है जो गाढे भूरे रंग के होते हैं

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भारत में एक लोक मान्यता रही है कि सोते समय ये अपनी टंगे ऊपर आकाश की दिशा में करा लेती है लोक जीवन में भी अगर देखा जाए तो बहुधा किसी व्यक्ति के लिए कह दिया जाता है कि जैसे इसने तो एक टांग से आकाश उठा रखा है लोकमान्यताओ में इसकी एक्टिविटी को वर्षा ऋतु से संबंध किया गया है इसके ऊंचे स्थान पर अंडे देने का संकेत के रूप में जाना जाता है की इस बार वर्षा अछि होगी वर्षा ऋतु में इस का कोलाहल बढ़ जाता है एवं इसकी आवाज अधिक सुनाई पड़ने लगती है इसकी बोली सुनाई देने पर आंगन में पानी गिरने की प्रथा है मान्यता है कि ऐसा न करने पर सूखा पड़ता है अपने अंडे बच्चे की रक्षा के प्रति overposessive होने के कारण संस्कृति साहित्य में ऐसे ही अन्ड़ीरक या अन्डूक भी कहा जाता है एक या दोनों पांवों पर खड़े होने की सोने की प्रति कारण इसका नाम उत्पाद्श्यन पड़ा है महाभारत में भी आयोग अतुल व्यक्ति के बारंबार निवेदन की तरफ से राजा ने उसकी उपेक्षा करने को कहा है कटु बोली के कारण इसे “कतुकबान ” कहा गया है पील पांवो के कारण इसे “पीत्पाद” कहते हैं

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फोटोग्राफर- डॉ मुकेश गर्ग बर्ड एंड वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर

Location- Nazim bala Talab Gangapur city Rajasthan

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