Login    |    Register
Menu Close

Tag: व्यंग्य

त के दृश्य में बारिश के बीच एक मंच पर झींगुर नेता भाषण दे रहे हैं, उनके सामने झींगुरों की भीड़ समर्थन में नारे लगा रही है। पीछे बैनर 'झींगुर अधिकार सम्मेलन' टंगा है, माहौल व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण है।

बरसात में झीगुरों की आमसभा-हास्य-व्यंग्य

बारिश की रात झींगुरों की आवाज़ को कभी ध्यान से सुनिए – वो बस टर्राहट नहीं, एक आंदोलन की गूंज है। वे मंच पर अधिकारों…

Spread the love
एक सूट पहना युवक लड़की देखने आया है, उसके चेहरे पर असमंजस है, सामने लड़की उदासी से चाय पकड़े खड़ी है। पीछे "Danger Ahead" जैसे बोर्ड हैं — दृश्य में हास्य और सामाजिक विडंबना झलकती है।

जब आप लड़की देखने जाए श्रीमान तो इन पांच बातों का रखें विशेष ध्यान

रोटी, कपड़ा, मकान के बाद अब नौकरी और छोकरी युवा की प्रमुख आवश्यकताएं बन गई हैं। लड़की देखने जाना शादी से पहले की सबसे बड़ी…

Spread the love
A cartoon of a smug material department head sitting at his desk, flanked by two nervous employees—one with papers, one with folded hands. Piles of files and a red register dominate the table in an exaggerated bureaucratic office setting.

काश मैं सामग्री विभाग का प्रमुख होता-डॉ शैलेश

जब हम छोटे थे तो समझते थे कि सबसे ताकतवर लोग पुलिसवाले होते हैं, फिर बड़े हुए तो लगा कि मंत्री सबसे ताकतवर होते हैं।…

Spread the love
एक वृद्ध ग्रामीण व्यक्ति डॉक्टर के पैरों को छूते हुए, डॉक्टर मास्क लगाए, हाथ जोड़े सकपकाए खड़े हैं, पीछे क्लीनिक का शांत वातावरण।

श्रद्धा, सायकोसिस और स्टेथोस्कोप

मैंने अपने क्लीनिक में प्रवेश किया। कई मरीज़ विश्राम कक्ष में बैठे हुए थे। कुछ के चेहरे पर संतोष था—शायद मेरे इलाज से उन्हें लाभ…

Spread the love
"A satirical cartoon depicting a rural clinic scene: villagers are describing bizarre symptoms — one says 'nas chali gayi', another 'hawa lag gayi' while holding his head, and a third, leaning on a stick, claims 'goda bol gaya'. The doctor sits confused, holding his forehead. Posters in the background read 'Vaat-Pitt-Kaph Clinic' and a board says 'No treatment for upper air here

मेडिकल का आँचलिक भाषा साहित्य – बिंब, अलंकारों, प्रतीकों से भरपूर

“डॉक्टर साहब, आपकी पढ़ाई अपनी जगह… हम तो इसे ‘नस जाना’ ही मानेंगे!” ग्रामीण चिकित्सा संवादों में हर लक्षण का एक लोकनाम है — ‘चक…

Spread the love
एक युवक मोबाइल में मग्न होकर "हैप्पी मदर्स डे" लिखी सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, उसके पीछे माँ रसोई में पसीने से तर-बतर होकर चूल्हे पर रोटी सेंक रही है। उसके माथे पर हल्की थकान, पर चेहरे पर वही स्थायी मुस्कान। युवक की पोस्ट पर मोबाइल स्क्रीन से '999 लाइक्स' के बबल्स उछल रहे हैं, और पास ही माँ बड़बड़ा रही है – "फेसबुक से पेट भरता है क्या?" दीवार पर एक कैलेंडर टंगा है, जिसमें हर दिन 'मदर्स डे' लिखा है — बस तारीख़ बदलती है। बाजार में एक बड़ा बैनर लटक रहा है — "Buy 1 Get 1 Free – Emotionally Packaged Mother’s Day Gifts!" पीछे टीवी पर ऐंकर चिल्ला रहा है — “Emotional Sale का आखिरी दिन!”

मदर्स डे –एक दिन की चांदनी फिर अँधेरी…

एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक…

Spread the love
humorous and chaotic atmosphere of the doctor's clinic that doubles as his writer's den. The doctor's perplexed expression and the mix of medical and literary items highlight his comical struggle between the two vocations.

“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना

एक लेखक के लिए क्या चाहिए? खुद का निठल्लापन, उल-जलूल खुराफाती दिमाग, डेस्कटॉप और कीबोर्ड का जुगाड़, और रचनाओं को झेलने वाले दो-चार पाठकगण। कुछ…

Spread the love
A group of friends at a traditional Indian sweet shop, with one friend explaining to a confused foreigner how jalebi is filled with syrup using an injection

जलेबी -मीठी यादों की रसभरी मिठाई

भारत की बहु-आयामी संस्कृति में एक ऐसी मिठाई है जिसने अपने रंग, रूप और स्वाद से हर उम्र के लोगों को मोहित कर रखा है…

Spread the love