कुण्डलियों की विरासत : महादेव प्रसाद ‘प्रेमी’ का संग्रह Mahadev Prashad Premi September 4, 2025 Book Review 3 Comments यह संग्रह महादेव प्रसाद ‘प्रेमी’ की कुण्डलियों का संकलन है, जिसे डॉ. मुकेश असीमित ने संपादित व प्रस्तुत किया है। इसमें प्रत्येक कुण्डली के साथ… Spread the love
लेट यानि लेटा हुआ-हास्य व्यंग्य रचना Ram Kumar Joshi September 3, 2025 हास्य रचनाएं 2 Comments During a saint’s sermon on life’s impermanence, a villager asked the meaning of “Late” written before names after death. His friend explained—Englishmen are buried, so… Spread the love
क्या पापा – लोल – “लोल हो गया संवाद” डॉ मुकेश 'असीमित' September 2, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments डिजिटल युग की हंसी अब मुँह से नहीं, मोबाइल से निकलती है। पिता ‘LOL’ सुनकर असली हंसी देखना चाहते हैं, जबकि बेटा ‘BRB’, ‘ROFL’, ‘IDK’… Spread the love
काम करने वाला कोई नहीं घर में-satire-humor डॉ मुकेश 'असीमित' August 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments मरीज की असली तकलीफ़ टूटी हुई हड्डी नहीं, बल्कि टूटा हुआ घर-गृहस्थी का संतुलन है। डॉक्टर जब पक्का प्लास्टर लगाने का हुक्म सुनाता है तो… Spread the love
मैं और मेरा मोटापा – एक प्रेमकथा डॉ मुकेश 'असीमित' August 23, 2025 हास्य रचनाएं 5 Comments “मैं और मेरा मोटापा – एक प्रेमकथा” में तोंद और इंसान का रिश्ता मोहब्बत जैसा दिखाया गया है। पड़ोसी शर्मा जी की खीझ, रिश्तेदारों की… Spread the love
आराम करो –आराम में ही राम बसा है-हास्य-व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' August 22, 2025 हास्य रचनाएं 3 Comments भागम-भाग की ज़िंदगी का असली गणित है—भाग को भाग दो, और उत्तर आएगा ‘आराम’। खाट पर लेटना, कम्बल में दुनिया की फिक्र लपेटना ही असली… Spread the love
अफ़सर अवकाश पर है-हास्य-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments सरकारी दफ़्तरों की असलियत पर यह व्यंग्य कटाक्ष करता है—जहाँ अफ़सर तनख़्वाह तो छुट्टियों की लेते हैं, पर काम के नाम पर बहानेबाज़ी ही उनका… Spread the love
“आज़ादी के दिन का अधूरा सपना”-लघु कथा Wasim Alam August 16, 2025 लघु कथा 4 Comments “15 अगस्त के उत्सव में झंडे लहरा रहे थे, गीत बज रहे थे, लेकिन गांधी मैदान के किनारे नंगे पाँव बच्चे लकड़ी समेट रहे थे।… Spread the love
आवारा कुत्तों का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना Vivek Ranjan Shreevastav August 16, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “शहर की गलियों में लोकतंत्र आवारा कुत्ते के रूप में बैठा है। अदालत आदेश देती है, नगर निगम ठेका निकालता है, मोहल्ला समिति बहस करती… Spread the love
माखन लीला-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 16, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments कृष्ण की माखन लीला आज लोकतंत्र में रूप बदल चुकी है। जहाँ कान्हा चोरी से माखन खाते थे, वहीं आज सत्ता और समाज में सब… Spread the love