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Tag: व्यंग्य

Minimalistic abstract line-art book cover illustrating a smiling figure, folk life motifs, music notes, and a meditating sage, symbolizing Kundaliya poetry’s rhythm, humor, philosophy, and folk essence.

कुण्डलियों की विरासत : महादेव प्रसाद ‘प्रेमी’ का संग्रह

यह संग्रह महादेव प्रसाद ‘प्रेमी’ की कुण्डलियों का संकलन है, जिसे डॉ. मुकेश असीमित ने संपादित व प्रस्तुत किया है। इसमें प्रत्येक कुण्डली के साथ…

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"व्यंग्यात्मक कार्टून – पिता हाथ में मोटी डिक्शनरी लिए उलझन में, बेटा मोबाइल पर तेज़ी से टाइप करता हुआ। चारों ओर ‘LOL’, ‘ROFL’, ‘BRB’, ‘IDK’ और इमोजी तैरते हुए, पिता के दिमाग़ में बिरयानी का ख्याल, जबकि बेटा डिजिटल हंसी में डूबा।"

क्या पापा – लोल – “लोल हो गया संवाद”

डिजिटल युग की हंसी अब मुँह से नहीं, मोबाइल से निकलती है। पिता ‘LOL’ सुनकर असली हंसी देखना चाहते हैं, जबकि बेटा ‘BRB’, ‘ROFL’, ‘IDK’…

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"एक कार्टून कैरिकेचर दृश्य: डॉक्टर सफेद कोट में जज की तरह हथौड़ा मारकर मरीज को पक्का प्लास्टर लगाने की सज़ा सुना रहा है। मरीज पैर पर मोटा प्लास्टर लिए खड़ा है, परिवार वाले पोस्टर लिए विरोध कर रहे हैं–'घर में काम कौन करेगा?' पास में बोर्ड टंगा है–‘डॉ. प्लास्टरलाल एंड कम्पनी: बेसिक, गोल्डन, प्रीमियम पैकेज उपलब्ध।’ दृश्य व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण।"

काम करने वाला कोई नहीं घर में-satire-humor

मरीज की असली तकलीफ़ टूटी हुई हड्डी नहीं, बल्कि टूटा हुआ घर-गृहस्थी का संतुलन है। डॉक्टर जब पक्का प्लास्टर लगाने का हुक्म सुनाता है तो…

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Cartoon caricature of a man’s oversized belly hanging out of a balcony, blocking the street, while the annoyed neighbor waves a complaint notice.

मैं और मेरा मोटापा – एक प्रेमकथा

“मैं और मेरा मोटापा – एक प्रेमकथा” में तोंद और इंसान का रिश्ता मोहब्बत जैसा दिखाया गया है। पड़ोसी शर्मा जी की खीझ, रिश्तेदारों की…

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एक व्यंग्यात्मक कार्टून रेखाचित्र: खाट पर लेटा हुआ मोटा-सा आदमी पेट बाहर निकला हुआ, कम्बल ओढ़े मुस्कुराता हुआ। बगल में चश्मा पहने बब्बन चाचा खड़े हैं, हाथ में लाठी लेकर उसे डाँटते हुए—“कुछ काम करो!”। दीवार पर लिखा है: “आराम ही धर्म है”.

आराम करो –आराम में ही राम बसा है-हास्य-व्यंग्य

भागम-भाग की ज़िंदगी का असली गणित है—भाग को भाग दो, और उत्तर आएगा ‘आराम’। खाट पर लेटना, कम्बल में दुनिया की फिक्र लपेटना ही असली…

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"कार्टून रेखाचित्र जिसमें एक ऊंघता हुआ चपरासी ऑफिस गेट पर बैठा है, हाथ में बोर्ड पकड़े—‘साहब अवकाश पर हैं’। पास में ताला लगा दरवाज़ा और दीवार पर छुट्टियों से भरा कैलेंडर, साथ ही अफ़सर का चित्र जिसमें वह आरामकुर्सी पर बैठा चाय पीते हुए स्विट्ज़रलैंड की वादियों का सपना देख रहा है।"

अफ़सर अवकाश पर है-हास्य-व्यंग्य रचना

सरकारी दफ़्तरों की असलियत पर यह व्यंग्य कटाक्ष करता है—जहाँ अफ़सर तनख़्वाह तो छुट्टियों की लेते हैं, पर काम के नाम पर बहानेबाज़ी ही उनका…

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"सड़क किनारे लोकतंत्र का प्रतीक कुत्ता पूँछ हिलाते हुए बैठा है, आसपास लोग बहस में उलझे हैं—कोई कुत्ता प्रेमी, कोई सुरक्षा चिंतित माता-पिता, तो कोई नगर निगम का अधिकारी।"

आवारा कुत्तों का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना

“शहर की गलियों में लोकतंत्र आवारा कुत्ते के रूप में बैठा है। अदालत आदेश देती है, नगर निगम ठेका निकालता है, मोहल्ला समिति बहस करती…

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"कार्टून व्यंग्य चित्र: कृष्ण का बालरूप मक्खन हांडी तक हाथ बढ़ाता, और पास ही नेता, अफसर, व्यापारी माखन के बड़े-बड़े लड्डू खा रहे हैं; जनता माखन घिसते दिख रही है।"

माखन लीला-हास्य व्यंग्य रचना

कृष्ण की माखन लीला आज लोकतंत्र में रूप बदल चुकी है। जहाँ कान्हा चोरी से माखन खाते थे, वहीं आज सत्ता और समाज में सब…

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